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दार्जलिंग-हिमालय से गुज़रती पटरियां
78 किलोमीटर का यह रेलवे ट्रैक दार्जलिंग में 1879 से 1881 के बीच बना था। यह रेलवे ट्रैक खूबसूरत जंगलों, वादियों और चाय के बागानों से होकर गुज़रता है। इस टॉय ट्रैन में बैठ कर आप कंचनजंघा की चोटी को निहार सकते हैं। इस जगह को यूनेस्को ने 1999 में वैश्विक संपदा घोषित कर दिया था। यहाँ से गुज़रता यह रेल ट्रैक अपने आप में गौरवान्वित करने वाला है।
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जम्मू-उधमपुर रेल ट्रैक
वातावरण की सबसे विषम परिस्थितियों से गुज़रने वाला यह रेलवे ट्रैक बर्फीले पहाड़ों से लेकर झुलसते रेगिस्तानों तक हर जगह से गुज़रता है। 53 किलोमीटर लम्बा यह रेल ट्रैक 20 सुरंगों और 158 पुलों से होकर गुज़रता है।
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कालका-शिमला रेल मार्ग
96 किलोमीटर लम्बा कालका से शिमला तक का रेल ट्रैक यात्रियों के चहेते रेल मार्गों में से है। यह खूबसूरत रास्ता हिमालय की वादियों और खूबसूरत पहाड़ों से होकर जाता है। आप चाहेंगे कि यह सफर का कभी खत्म न हो। 102 सुरंगों और 864 पुलों वाले इस रेल मार्ग में 919 ज़बरदस्त मोड़ पड़ते हैं, जिनमें से कुछ तो 48 अंश तक के हैं। यह यात्रा अपने आप में किसी रोलरकोस्टर राइड से कम नहीं है।
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कोंकण रेल मार्ग
कोंकण के इस रेल मार्ग पर यात्रा करना आपके लिए एक अद्भुद अनुभव हो जाएगा। कर्नाटक के ठोकुर से महाराष्ट्र के रोहा तक यह रास्ता बेहद खूबसूरत है। इस रास्ते में 91 सुरंगें और 2000 से भी ज्यादा पुल पड़ते हैं। कोंकण रेल मार्ग की यह यात्रा एक पल को भी आपकी पलकें नहीं झपकने देगी। नज़ारे इतने खूबसूरत हैं कि आप एक पल को भी खिड़की से नहीं हटना चाहेंगे।
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पंबन का रामेश्वरम सागर रेलवे पुल
रेलवे का रामेश्वरम सागर पुल शानदार है। 143 खम्बों पर खड़ा यह पुल रामेश्वरम से पंबन टापू तक आने जाने का इकलौता ज़रिया है। यह पुल हमेशा से बेहद विषम हालात में भी खड़ा रहा है। 2 किलोमीटर लम्बा यह पुल भारत का दूसरा सबसे लम्बा समंदर में खड़ा पुल है। यह इतना मज़बूत है कि 1965 में आई सुनामी भी इस पुल का कुछ नहीं बिगाड़ सकी थी।
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जयपुर-जैसलमेर मार्ग
भारत की हरी-भरी वादियों के बजाए जयपुर का यह रेलवे ट्रैक आपको दूर-दूर तक पीली रेत के टीलों के दर्शन कराता है। लम्बे चौड़े रेत के मैदान और उन पर ऊंटों की लम्बी कतारें घर में लटकी किसी सीनरी को जैसे जीवंत कर देती है।
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हुबली-मडगाँव का वास्को-डि-गामा रेल मार्ग
इसे भारत का सबसे खूबसूरत रेलवे ट्रैक माना जाता है। दुग्ध-सागर से होकर जब ट्रैन गुज़रती है तो आप पलकें झपकाना तक भूल जाते हैं। 310 मीटर की ऊंचाई से गिरता दूध सा सफेद पानी आकाश से होती दूध की बारिश जैसा लगता है।