इस समूह का कहना है जैसे सभी “इको फ्रेंडली” बनने की सोच को बढ़ावा देते हैं। ठीक उसी तरह हम भी “इको फ्रेंडली कुर्बानी” देने की बात कर रहे हैं। इस पहल का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कई कलाकार बकरे का ढाँचा तैयार करते और उसे रंगते हुए नज़र आ रहे हैं।
इस बकरे का ऊपरी हिस्सा सिंथेटिक का बना हुआ है और भीतर का हिस्सा मिट्टी और घास की मदद से बनाया गया है। कलाकारों के इस समूह का नाम है, संस्कृति बचाओ मंच। इस समूह से जुड़े शेखर तिवारी ने अभियान के बारे में फ्री प्रेस जर्नल से विस्तार में चर्चा की।
इको फ्रेंडली बकरीद
उन्होंने बताया कि यह प्रयास पर्यावरण के दृष्टिकोण से शुरू किया गया है। तिवारी ने कहा, “हम होली पर पानी बचाते हैं। दीपावली पर पटाखे नहीं जलाते हैं। यहाँ तक कि नागपंचमी मनाने का तरीका भी पूरी तरह बदल लिया है। इतना कुछ सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण और समाज के भले के लिए। यह किसी धर्म से जुड़ा हुआ मुद्दा नहीं है हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही बकरे का माँस खाते हैं। एक बार सोच कर देखिये यह जानवरों के लिहाज़ से कितनी अच्छी पहल होगी। हम जानवरों की मदद कर पाएँगे और पर्यावरण की सुरक्षा भी।”
Bhopal-based artisans build an 'eco-friendly Bakri' ahead of Eid to ensure goats don't get slaughtered. pic.twitter.com/soM1xHyxAO
— Free Press Journal (@fpjindia) July 27, 2020
इस समूह का कहना है जैसे सभी “इको फ्रेंडली” बनने की सोच को बढ़ावा देते हैं। ठीक उसी तरह हम भी “इको फ्रेंडली कुर्बानी” देने की बात कर रहे हैं। इस पहल का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें कई कलाकार बकरे का ढाँचा तैयार करते और उसे रंगते हुए नज़र आ रहे हैं।
कुछ दिनों पहले मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना के चलते 24 जुलाई की रात 8 बजे से भोपाल में पूर्ण लॉकडाउन का आदेश जारी किया था। इसके विरोध में कॉन्ग्रेस विधायक आरिफ़ मसूद ने वीडियो जारी करते हुए धमकी दी थी। वीडियो में उन्होंने बकरीद के पहले लॉकडाउन का विरोध किया था। साथ ही यह भी कहा था कि बकरों की कुर्बानी हर हाल में हो कर रहेगी।
इससे पहले PETA ने लखनऊ में एक बिलबोर्ड लगवाया था। इसमें एक बकरी की तस्वीर के साथ लोगों से शाकाहारी बनने की अपील की गई थी। इसके बाद सुन्नी मौलवी ने इसका विरोध करते हुए पोस्टर को आपत्तिजनक बताया था।
वहीं इस विरोध के बाद, उस बिलबोर्ड अर्थात होर्डिंग को वहाँ से हटा दिया गया था। जिसे हटाने को लेकर PETA ने दावा किया कि उन होर्डिंग्स को पुलिस अधिकारियों ने हटा दिया था। फिर भी, वे होर्डिंग्स को हटाने से सहमत नहीं थे। हालाँकि, ऑपइंडिया से बात करते हुए, लखनऊ पुलिस ने कहा था कि पेटा ने खुद ही होर्डिंग्स हटा दिए थे।