तमिलनाडु के 1500 साल पुराना चोल मंदिर की जमीन वक्फ ने हड़पी

तमिलनाडु के 1500 साल पुराना चोल मंदिर की जमीन वक्फ ने हड़पी

1500 साल पुराना चोल मंदिर: ‘हम कई पीढ़ियों से यहीं’: तमिलनाडु के जिस गाँव की पूरी जमीन वक्फ ने हड़पी डरे हुए हैं उसके ग्रामीण, बोला बोर्ड – 1500 साल पुराना चोल मंदिर भी हमारा

एक अन्य महिला ने बताया कि उनकी सास ने उन्हें दशकों पुरानी तस्वीरें दिखाईं, उससे भी पहले से ये लोग यहाँ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सब निराश हैं। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के मुखिया अब्दुल रहमान ने इस पर सफाई दी है।

तमिलनाडु के 1500 साल पुराना चोल मंदिर की जमीन वक्फ ने हड़पी

हाल ही में संसद में लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पेश किया गया, जिसे बाहरी विरोध के बाद JPC (संयुक्त संसदीय समिति) के समक्ष भेज दिया गया है। बिल पेश करते समय केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजुजू ने तमिलनाडु के तिरुचिपल्ली स्थित तिरुचेंदुरई का उदाहरण दिया, जहाँ पूरे गाँव को ही वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति बता दी और ग्रामीण अपनी जमीन बेच तक नहीं पा रहे हैं। इतना ही नहीं, डेढ़ हजार वर्ष प्राचीन मंदिर भी इस गाँव में है, जो इस्लाम के जन्म से भी पुराना है।

अब ‘इंडिया टुडे’ ने इस पर एक ग्राउंड रिपोर्ट किया है। ये उसका उदाहरण है कि कैसे रातोंरात पूरे गाँव के नागरिकों की जमीनें चली गईं। ये एक शांत गाँव है, जो अब चर्चा में है। इसका खुलासा तब हुआ जब पैसों की ज़रूरत के कारण एक किसान अपनी जमीन बचने गया। प्रशासन ने उसे बताया कि उसकी जमीन वक्फ बोर्ड की है, इसीलिए उसे वहाँ से NOC लाना पड़ेगा। यहाँ जो मंदिर है, वो चोल राजवंश द्वारा निर्मित है। एक 72 वर्षीय महिला ने बताया कि वो जन्म से यहीं रह रही हैं।

उन्होंने बताया कि जब से उन्हें बताया गया है कि ये जमीनें वक्फ बोर्ड की हैं तब से सभी ग्रामीण डरे हुए हैं। एक अन्य बुजुर्ग महिला ने कहा कि हम पीढ़ियों से यहाँ रह रहे हैं और अचानक से उन्हें कहा जा रहा है कि ये जमीनें उनकी नहीं है, वो जानती भी नहीं कि ये कौन लोग हैं। एक अन्य महिला ने बताया कि उनकी सास ने उन्हें दशकों पुरानी तस्वीरें दिखाईं, उससे भी पहले से ये लोग यहाँ रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सब निराश हैं। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के मुखिया अब्दुल रहमान ने इस पर सफाई दी है।

उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड इस गाँव में 430 एकड़ जमीन का मालिक है, जिसमें मंदिर भी शामिल है। उन्होंने कहा कि जमीन दान करने वालों के कहे के हिसाब से वक्फ बोर्ड मंदिर को नहीं छुएगा। लेकिन, सवाल ये है कि जमीन दान देने वाले ये कौन लोग हैं और क्या आगे लंबे समय तक मंदिर बचा रहेगा? मंदिर के पुजारी ने कहा कि उनके पास कुछ दस्तावेज हैं, लेकिन पता नहीं वो सही हैं या गलत क्योंकि 1955 से पहले कोई वक्फ बोर्ड नहीं था। तिरुचिपल्ली के जिलाधीश ने कहा कि जमीन का मालिकाना हक़ विवादित है।

हालाँकि, उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को जमीन खरीदने-बेचने से नहीं रोका जा रहा है। वक्फ बोर्ड ने कहा कि जमीनों का पंजीकरण किया जा सकता है, जब तक जमीन का मालिकाना हक़ साबित नहीं हो जाता। गाँव में कुछ ही मुस्लिम समाज के लोग हैं, लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं। पुजारी ने कहा कि वक्फ दिन प्रतिदिन अमीर होता जा रहा है, वो ताजमहल को भी अपना बताते हैं। उक्त मंदिर में लिखा है कि राजाराज चोल की बहन ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

वहीं कुछ रिपोर्ट्स में कहना है कि 18वीं शताब्दी में मंगम्मल नाम की रानी ने कुछ मुस्लिम राजाओं से दोस्ती के कारण उन्हें कई गाँव दे दिए थे। डीएम ने इस सूचना पर कहा कि ये पुष्ट सूचना नहीं है कि जमीनें औरंगजेब को दी गई थीं या नहीं, 1927 के बाद के ही दस्तावेज उपलब्ध हैं। मंदिर की दीवारों पर ऐतिहासिक अभिलेख हैं। कुछ भी हो, गाँव के लोग अनिश्चितता में जी रहे हैं। अब देखना है कि वक्फ संशोधन विधेयक कब कानून बनता है और लोगों को इससे कब राहत मिलती है।

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