श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर की प्रतिमा: उत्तर प्रदेश के मथुरा के संत एवं कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखकर आगरा मस्जिद की सीढ़ियों का सर्वे करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा दबी है। उनका कहना है कि यह प्रतिमा वही है, जो श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के मूल गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठित थी।
‘भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति का पता लगाने के लिए आगरा की बेगम मस्जिद का हो सर्वे’: मथुरा के संत ने ASI को लिखा पत्र, कहा – सीढ़ियों में दबाई गई है मूर्ति
सुप्रीम कोर्ट की वकील रीना एन सिंह द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि अगर ASI को जरूरी हुआ तो वे दस्तावेजी साक्ष्य देने को तैयार हैं, जो उन प्रतिमाओं के अस्तित्व और उनकी उपस्थिति की पुष्टि करते हैं। उन्होंने कहा कि इस सर्वे के नतीजे न केवल हिंदू समुदाय को भगवान कृष्ण की मूर्ति को वापस पाने में मदद करेंगे, बल्कि उन ऐतिहासिक कारणों पर भी प्रकाश डालेंगे जिनके कारण हिंदू देवता की मूर्ति को दफनाया गया था।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर की प्रतिमा:
संत कौशल किशोर ठाकुर की ओर से सुप्रीम कोर्ट की वकील रीना एन. सिंह द्वारा लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि ASI जीपीआर /भूभौतिकीय सर्वेक्षण या किसी अन्य उपयुक्त विधि से सर्वे कराकर उस स्थान का सटीक पता लगाए कि जहाँ भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को कहाँ दबाया गया है। उन्होंने कहा कि आगरा मस्जिद को छोटी मस्जिद या जहाँआरा बेगम मस्जिद के नाम से भी जाना है।
पत्र में रीना सिंह के माध्यम से कौशल किशोर ठाकुर ने कहा है, “मेरे ध्यान में आया है कि ऐसे ऐतिहासिक दस्तावेज, साहित्य और स्थानीय किंवदंतियाँ हैं जो भगवान कृष्ण की पवित्र मूर्तियों की उपस्थिति की बात करते हैं। इन्हें भगवान केशव देव के नाम से जाना जाता है। इस प्रतिमा को भगवान के मूल जन्म स्थान पर श्रीकृष्ण के परपोते महाराजा व्रजनाभ द्वारा प्रतिष्ठित किया गया था।”
उन्होंने कहा कि कटरा केशवदेव मथुरा स्थित श्रीकृष्ण मंदिर को वर्तमान में शाही ईदगाह के नाम से जाना जाता है। संत कौशल किशोर ठाकुर का दावा है कि इस मूर्ति को राधा रानी एवं अन्य हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिष्ठित मूर्तियों के साथ दफनाया गया है। पहले इन प्रतिमाओं की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती थी। उन्हें आगरा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफनाया गया है।
पत्र में संत कौशल किशोर ने ASI से कहा है, “मैं विनम्रतापूर्वक आपके विभाग / संगठन / प्राधिकरण से मस्जिद के परिसर के भीतर मूर्तियों या किसी अन्य महत्वपूर्ण कलाकृतियों के अस्तित्व का पता लगाने और उसे सत्यापित करने के लिए जीपीआर तकनीक का उपयोग करके एक गैर-आक्रामक भूमिगत सर्वेक्षण करने का अनुरोध करता हूँ।”
ऑपइंडिया के पास उपलब्ध उस पत्र में आगे कहा गया है कि इस स्थल का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। इसलिए उन मूर्तियों का पता लगाकर उन्हें उनके उचित स्थान पर पुनः स्थापित करके भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति की खोई हुई महिमा को बहाल की जाए। इसके लिए जरूरी है कि उन मूर्तियों को मस्जिद की सीढ़ियों से निकाला जाए।
पत्र में आगे कहा गया है कि अगर ASI को जरूरी हुआ तो वे दस्तावेजी साक्ष्य देने को तैयार हैं, जो उन प्रतिमाओं के अस्तित्व और उनकी उपस्थिति की पुष्टि करते हैं। उन्होंने कहा कि इस सर्वे के नतीजे न केवल हिंदू समुदाय को भगवान कृष्ण की मूर्ति को वापस पाने में मदद करेंगे, बल्कि उन ऐतिहासिक कारणों पर भी प्रकाश डालेंगे जिनके कारण हिंदू देवता की मूर्ति को दफनाया गया था।
बताते चलें कि इससे पहले सितंबर 2022 में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने मथुरा सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर कहा था कि आगरा किले के अंदर दीवान-ए-खास के पास स्थित बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे केशव देव की पौराणिक और रत्न जड़ित प्रतिमा दबाई गई है। याचिका में आग्रह किया गया था कि पुरातत्व विभाग (ASI) से खुदाई करवाकर प्रतिमा को बाहर निकलवाई जाए।
याचिका में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने कहा था कि मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्ति के दबे होने और उन पर मुस्लिमों के चलने के कारण हिंदुओं की भावनाएँ आहत हो रही हैं। इसलिए इस पर तत्काल कार्रवाई की जाए। याचिका में उन्होंने ASI के डायरेक्टर जरनल (DG), आगरा ASI के अधीक्षक, ASI के निदेशक और केंद्रीय सचिव को पार्टी बनाया है।
महेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया था कि मुगल आक्रांता औरंगजेब (Aurangzeb) के मुख्य दरबारी साखी मुस्तेक खान द्वारा लिखित पुस्तक ‘मासर-ए-आलमगिरी’ का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने मूर्ति को तोड़वा कर आगरा के लाल किले में मौजूद बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों में चुनवा दिया था।