यह सनातनी आस्था का ही महाकुंभ नहीं, अर्थव्यवस्था को भी देता है गतिः आयोजन पर जितना खर्च करते थे अंग्रेज, उससे अधिक आता था राजस्व… इस बार ‘वोकल फॉर लोकल’ को भी बढ़ावा
प्रयागराज शहर की दिवारों धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के विभिन्न प्रतीकों को अंकित किया जाएगा। इन पर इस तरह के चित्र बनाएँगे, जैसे वह उनसे संवाद कर रही हो। इस प्राचीन नगरी के बारे में उन्हें बता रही हो। उनका आधुनिकता के बीच धार्मिकता एवं सांस्कृतिक संगम में स्वागत कर रही हों। इस तरह शहर के लगभग 10 लाख वर्गफीट में इनका चित्रण होगा।
सनातनी आस्था का महाकुंभ
इस बार प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ न सिर्फ परंपरा और आधुनिकता का मिश्रण होगा, बल्कि अपने आप में हर तरह से अद्वितीय भी होगा। महाकुंभ प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक धर्म, संस्कृति और परंपरा के साथ-साथ समाजिकता और व्यवसाय का एक बड़ा मंच रहा है। महाकुंभ में दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं की वजह से राज्य सरकार को आर्थिक लाभ मिलेगा।
ब्रिटिश सरकार भी कुंभ के सफल आयोजन के लिए हमेशा प्रयासरत रहती थी। अंग्रेजों के लिए यह भले धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ना हो, लेकिन उनके लिए आर्थिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण था। सन 1906 तक महाकुंभ के आयोजन में ब्रिटिश भारत की सरकार जितना खर्च करती थी, उससे अधिक इस मेले से उसे राजस्व मिल जाता था।
इसको देखते हुए प्रयागराज महाकुंभ 2025 की तैयारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साल 2022 में ही शुरू कर दी थी। उनकी अध्यक्षता में साल 2022 में ही महाकुंभ 2025 को लेकर पहली बैठक आयोजित की गई थी। उस दौरान सीएम योगी ने प्रयागराज के कई दौरे भी किए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस आयोजन को लेकर बेहद दिलचस्पी दिखाई।
यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ आयोजन की तैयारियों का खुद जायजा लेने के लिए प्रयागराज पहुँचे। प्रधानमंत्री मोदी और सीएम योगी ने महाकुंभ आयोजन से जुड़ी कई परियोजनाओं का शिलान्यास/लोकार्पण/अनावरण/उद्घाटन भी किया। इस तरह इस आयोजन को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी जीन-जान से लगे हैं।
महाकुंभ नगरी के लिए विशेष परियोजनाएँ
इस बार के महाकुंभ में 45 करोड़ लोगों के पहुँचने की आशा है। इससे स्थानीय रोजगार, व्यापार, क्षेत्रीय हस्तशिल्प एवं कला के साथ-साथ पर्यटन एवं समग्र विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। कुंभ के कारण सरकार क्षेत्र के बुनियादी ढाँचे को हर तरह से विकसित करती है, जिससे अंतत: नागरिकों को लाभ मिलता है और व्यापार को सुगम बनाता है।
महाकुंभ के लिए राज्य की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 500 से अधिक परियोजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 6,382 करोड़ रुपए है। इनमें सड़कों का चौड़ीकरण, पेयजल की पाइपलाइन बिछाना, नई बसें चलाना आदि के साथ-साथ अन्य तरह की बुनियादी ढाँचे का विकास शामिल है।
इस महाकुंभ नगरी को बसाने के लिए 50 हजार से अधिक श्रमिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। जहाँ जरूरी हुआ, वहाँ पुल बनाए गए। जहाँ पुल बनाना संभव नहीं था, वहाँ स्टील के फोर लेन अस्थायी ब्रिज बनाए गए। जहाँ जरूरी हुआ, वहाँ रेलवे पुल तक बनाए गए। इतना ही नहीं, प्रयागराज पहुँचने वाली सारी सड़कों का चौड़ीकरण एवं उनका सौंदर्यीकरण किया गया।
प्रयागराज को दिया आकर्षक लुक: सनातनी आस्था का महाकुंभ
प्रयागराज में आने वाले श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के लिए शहर को विशेष रूप देने की कोशिश की गई है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने शहर दीवारों और प्रमुख चौराहों को भव्य रूप देने के लिए अलग से 60 करोड़ रुपए का बजट रखा है। इसमें शहर के प्रमुख दीवारों पर स्ट्रीट आर्ट, चौराहों पर म्यूरल्स (भित्ति चित्र), विभिन्न शैली की मूर्तियाँ (स्कल्पचर), लैंड स्केपिंग, ट्रैफिक साइन, ग्रीन बेल्ट और हॉर्टिकल्चर आदि का काम शामिल हैं।
शहर की दिवारों धर्म, अध्यात्म और संस्कृति के विभिन्न प्रतीकों को अंकित किया जाएगा। इन पर इस तरह के चित्र बनाएँगे, जैसे वह उनसे संवाद कर रही हो। इस प्राचीन नगरी के बारे में उन्हें बता रही हो। उनका आधुनिकता के बीच धार्मिकता एवं सांस्कृतिक संगम में स्वागत कर रही हों। इस तरह शहर के लगभग 10 लाख वर्गफीट में इनका चित्रण होगा।
स्थानीय लोगों को रोजगार
एक अनुमान के मुताबिक, इस बार के महाकुंभ से 45,000 परिवारों को रोजगार मिलेगा। महाकुंभ में 25,000 श्रमिकों को लगाया गया है। महाकुंभ के लिए कौशल विकास के तहत 45,000 हजार परिवारों को ट्रेनिंग दी गई है। राज्य सरकार ने बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को ठहरने के लिए शहर में 2,000 से अधिक पेइंग गेस्ट फैसिलिटी की सुविधा विकसित की है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2022 में पर्यटन नीति बनाई थी, जिसमें 10 लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था। ये प्रशिक्षित सेवा प्रदाता इस महाकुंभ में अपनी बड़ी भूमिका निभाएँगे और रोजगार पाएँगे। इनमें पर्यावरण के अनुकूल कुल्हड़, पत्तल-दोने आदि जैसे स्वरोजगार की महती भूमिका सामने आएगी। इससे लघु उद्योगों को बड़े पैमाने पर फायदा होगा।
यूपी का पर्यटन विभाग टूर गाइड, ड्राइवर, नाविक, स्ट्रीट वेंडर सहित कई प्रकार के सेवा प्रदाताओं को हर तरह का प्रशिक्षण उपलब्ध करा रहा है। यूपी पर्यटन विभाग ने पर्यटकों को लुभाने एवं नाविकों को आय बढ़ाने के लिए 2,000 से अधिक नावकों को प्रशिक्षित किया है। इसमें श्रद्धालुओं के साथ व्यवहार-कुशलता से लेकर उनकी सुरक्षा का ध्यान रखने तक की बात शामिल है।
इतना ही नहीं, कुंभ के दौरान भोजन की पवित्रता को बनाए रखने के लिए स्थानीय महिलाएँ मिट्टी के चूल्हे भी बेच रही हैं। इस तरह महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हर सेवा प्रदाता एवं लघु उद्योगों से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग दी गई है, ताकि इस महाकुंभ में आने वाले लोगों को धार्मिक एवं सांस्कृतिक अनुभव के साथ-साथ मेहमान नवाजी का अपूर्व आनंद प्राप्त हो।
महाकुंभ के ‘टेंट सिटी’ में राजसी ठाट-बाट
महाकुंभ में 2,000 से अधिक पेइंग गेस्ट के अलावा, राज्य सरकार ने कुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं के लिए 2,000 से अधिक स्वीस कॉटेज शैली में टेंट स्थापित किया है। इसके लिए लग्जरी टेंट सिटी स्थापित की जा रही है। इन्हें उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम लिमिटेड (UPSTDC) बना रहा है। UPSTDC इस सिटी की स्थापना 6 साझेदारों के साथ मिलकर कर रहा है।
टेंट सिटी में कई तरह के ब्लॉक स्थापित किए जा रहे हैं। इन ब्लॉक्स में आगमन, कुंभ कैंप इंडिया, ऋषिकुल कुंभ कॉटेज, कुंभ विलेज, कुंभ कैनवास, कुंभ एरा आदि प्रमुख हैं। इन टेंट्स में अंतर्राष्ट्रीय मानकों के तहत फाइव स्टार होटल वाली सुविधाएँ मिलेंगी। यह सुपर डिलक्स, टेंट विला, महाराजा, स्वीस कॉटेज और डॉर्मेटरी फॉर्मेट में उपलब्ध होगा।
वोकल फॉर लोकल
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने प्रयागराज महाकुंभ-2025 के जरिए यूपी के स्थानीय उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने की रूप-रेखा बनाई है। सरकार ने इसके लिए पीएम मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ को अपना मूल मंत्र बनाया है। इस दौरान ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ यानी हर जिले के एक बड़े उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा।
बनारस की साड़ी, मुरादाबाद के पीतल का सामान, गोरखपुर का टेराकोटा, बाँदा के शजर पत्थर से बने उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रसिद्धि एवं बढ़ावा मिलने का अनुमान है। इसके कारण इन जिलों के संबंधित उत्पादों का कारोबार बढ़ने की उम्मीद भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल को बड़े पैमाने पर प्रमोट किया था और यूपी सरकार ने इसमें नया मानक स्थापित किया है।
75 देशों सहित 45 करोड़ आएँगे पर्यटक: सनातनी आस्था का महाकुंभ
प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 में दुनिया भर के 75 से अधिक देशों से 45 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद है। इनमें श्रद्धालु से लेकर पत्रकार एवं शोधार्थी तक शामिल हैं। यूरोप से ही लगभग 4 लाख पर्यटक सिर्फ महाकुंभ को देखने के लिए आ सकते हैं। यूरोप के कई देशों के टूर ऑपरेटरों ने यूपी पर्यटन विभाग से संपर्क किया है।
संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कुवैत आदि जैसे मुस्लिम देशों के पर्यटक भी महाकुंभ देखने के लिए प्रयागराज में होटल बुक करवा रहे हैं। इस तरह विदेशी पर्यटकों के आने से भारत को विदेशी मुद्रा भी प्राप्त होगी। इससे उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही ब्रांड यूपी की दुनिया भर में पहचान भी मिलेगी।
बताते चलें कि साल 2019 के महाकुंभ में 24 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया था। इनमें 25 लाख विदेशी पर्यटक थे। इस बार यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ती दिखाई दे रही है। यह देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था में हुए अभूतपूर्व सुधार के स्वागत एवं विश्वास के रूप में भी देखा जा रहा है।
अगर हम कुल पर्यटकों की बात करें तो पिछले साल यानी 2023 में कुल 48 करोड़ पर्यटक उत्तर प्रदेश आए। इनमें घरेलू और विदेशी, दोनों तरह के पर्यटक शामिल हैं। यह आँकड़ा साल 2022 की अपेक्षा 50 प्रतिशत अधिक था। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2028 में यह आँकड़ा 85 करोड़ पहुँच जाएगी। इस लिहाज से अगले साल के महाकुंभ की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रयागराज से अन्य धार्मिक स्थलों तक चलेंगी विशेष ट्रेनें
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु विंध्याचल, अयोध्या, वाराणसी, वृंदावन, मथुरा जैसे प्रसिद्ध तीर्थस्थल भी जा सकते हैं। महाकुंभ यात्रा के दौरान ही तीर्थयात्री इन तीर्थों की भी यात्रा कर सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने धार्मिक कॉरीडोर बनाया है। इनमें वाराणसी का जलमार्ग से लेकर विशेष ट्रेनें चलाने तक की विशेष व्यवस्था की गई है।
प्रयागराज महाकुंभ को वाराणसी से सीधे जोड़ने के लिए रेलवे ने वाराणसी कैंट से प्रयागराज के बीच 34 ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। ऐसी ही विशेष ट्रेन प्रयागराज से अयोध्या, प्रयागराज से विंध्याचल और प्रयागराज से मथुरा-वृंदावन के बीच चलाने का निर्णय लिया गया है।
इन शहरों के लिए ‘फास्ट रिंग मेमू’ सेवा शुरू की गई है। यह फास्ट रिंग मेमू सेवा प्रयागराज से अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज आएगी। इसी तरह से दूसरी ट्रेन प्रयागराज से वाराणसी, फिर अयोध्या और फिर प्रयागराज आएगी। मुख्य स्नान पर्वों को छोड़कर यह सेवा सभी दिन शुरू रहेगी।