शंख, चक्र, गदा, सूर्य, स्वस्तिक और ॐ से लेकर दशावतार तक: कमल पर विराजमान हैं धर्नुधारी भगवान राम, चरणों में विराजमान हैं गरुड़ और हनुमान
प्रभु के चरण के नीचे कमल का फूल है। वहीं नीचे दाईं तरफ बजरंग बली हैं। बाईं तरफ नीचे पक्षीराज गरुड़ हैं, जिन्हें श्रीहरि का वाहन माना जाता है। उक्त प्रतिमा का वजन 200 किलोग्राम है।
अयोध्या में सोमवार (22 जनवरी, 2024) को निर्माणाधीन भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है। उससे पहले उस प्रतिमा की तस्वीर भी सामने आ गई है, जिसे कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने गढ़ा है। ये प्रतिमा न सिर्फ मनमोहक है, बल्कि इसे बनाने में शास्त्रों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। प्रतिमा में दिख रहे रामलला 5 वर्ष के है, अतः ये भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की मूर्ति है। उनके चारों तरफ आभामंडल को भी प्रतीकात्मक रूप से दर्शाया गया है।
रामलला की प्रतिमा की पहली पूरी तस्वीर सामने आई
इसे बनाने के लिए एक ही कृष्णशिला पत्थर का उपयोग किया गया है। 22 जनवरी को जब प्राण प्रतिष्ठा होगी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैदिक रीति-रिवाजों के साथ आँखों से पट्टी हटाएँगे और सोने की सलाई से काजल भी लगाएँगे। इसके बाद रामलला को शीशा दिखाया जाएगा। इस मूर्ति की लंबाई 4.24 फ़ीट ऊँची है। उनके मस्तक के ऊपर स्वस्तिक, ॐ, चक्र, गदा और भगवान सूर्य सुशोभित हैं। मूर्ति की दाईं हाथ की तरफ मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह और वामन अवतार को दर्शाया गया है।
वहीं बाईं तरफ परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि को दिखाया गया है। इस तरह भगवान विष्णु के दशावतार पूरे होते हैं। प्रभु के चरण के नीचे कमल का फूल है। वहीं नीचे दाईं तरफ बजरंग बली हैं। बाईं तरफ नीचे पक्षीराज गरुड़ हैं, जिन्हें श्रीहरि का वाहन माना जाता है। उक्त प्रतिमा का वजन 200 किलोग्राम है। इसकी चौड़ाई 3 फ़ीट है। प्रतिमा को क्रेन से उठा कर गर्भगृह में स्थापित किया गया था। भगवान के बाएँ हाथ में धनुष-बाण है। उन्हें सोने का मुकुट पहनाया जाएगा।
अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा से 3 दिन पहले रामलला की प्रतिमा की पहली पूरी तस्वीर सामने आई। काले पत्थर से बनी मूर्ति में भगवान का विहंगम स्वरूप दिखाई दे रहा है। 5 साल के रामलला के चारों तरफ आभामंडल बनाया गया है। #AyodhaRamMandir #RamMandirPranPratishta
रामलला की प्राण… pic.twitter.com/dlj36BPNC8— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) January 19, 2024
मैसूर राजघराने के कलाकार परिवारों से आने वाले 37 वर्षीय अरुण योगीराज 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA किया और एक निजी कंपनी में काम करने के बाद वो वापस अपने परिवारिक पेशे में लौटे, क्योंकि बचपन से उनका यही शौक था। केदारनाथ में स्थापित जगद्गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा और दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उन्होंने ही बनाई थी। रामलला की प्रतिमा को देख कर हर हिन्दू भाव-विह्वल है। 500 वर्षों के संघर्ष एवं बलिदानों के बाद ये मौका आया है।