रामभद्राचार्य और गुलजार को वर्ष 2023 का 'ज्ञानपीठ पुरस्कार'

रामभद्राचार्य और गुलजार को वर्ष 2023 का ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’

रामभद्राचार्य और गुलजार को ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’: 100+ पुस्तकें लिख चुके हैं ‘तुलसी पीठ’ के संस्थापक, 68 साल से लिख रहे हैं संपूर्ण सिंह कालरा

गुलजार की प्रमुख रचनाओं में ‘चाँद पुखराज का’, ‘रात पश्मिने की’ और ‘पंद्रह पांच पचहत्तर’ शामिल हैं। उनका पूरा नाम संपूर्ण सिंह कालरा है।

2023 ज्ञानपीठ पुरस्कार:

जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गीतकार गुलजार को ‘ज्ञानपीठ अवॉर्ड‘ से सम्मानित किया गया है। जहाँ गुलजार सामान्यतः हिंदी-उर्दू शब्दों का इस्तेमाल कर के गीत और गजलें लिखते हैं, वहीं रामभद्राचार्य ने संस्कृत में कई पुस्तकें लिखी हैं और साथ ही गोस्वामी तुलसीदास के लेखन पर गहन शोध किया है। इन दोनों को वर्ष 2023 के ‘ज्ञानपीठ सम्मान‘ के लिए चुना गया है। गुलजार को उर्दू भाषा में उनकी रचनाओं और योगदान के लिए ‘ज्ञानपीठ अवॉर्ड’ से सम्मानित किया जा रहा है।

वहीं जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत भाषा में उनके योगदान के लिए इस सम्मान से नवाजा जा रहा है। नेत्रहीन रामभद्राचार्य चित्रकूट स्थित ‘तुलसी पीठ‘ के संस्थापक हैं और साथ ही दिव्यांगों के लिए एक यूनिवर्सिटी और स्कूल का संचालन भी करते हैं। उन्होंने 100 से भी अधिक पुस्तकें लिख रखी हैं। वहीं गुलजार को इससे पहले 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार और 2004 में पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।

गुलजार की प्रमुख रचनाओं में ‘चाँद पुखराज का‘, ‘रात पश्मिने की‘ और ‘पंद्रह पांच पचहत्तर‘ शामिल हैं। उनका पूरा नाम संपूर्ण सिंह कालरा है। गुलजार का जन्म 18 अगस्त, 1934 को अविभाजित भारत के झेलम जिले के देना गाँव में हुआ था। उनकी माँ का कम उम्र में ही निधन हो गया था, पिता माखन सिंह छोटे कारोबारी थे। 12वीं में फेल हो चुके गुलजार की साहित्य में गहरी रुचि थी। रवीन्द्रनाथ टैगोर और शरतचंद्र उनके पसंदीदा लेखक थे।

वहीं रामभद्राचार्य की आँखों की रोशनी उनके जन्म के 2 महीने बाद ही चली गई थी। कहा जाता है कि उन्हें 22 भाषाओं का ज्ञान है। उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें ये पुरस्कार दिया था। 2022 की बात करें तो उस साल के लिए ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ गोवा के लेखक दामोदर मावजो को दिया गया था। इस बार दो ऐसे लोगों को ये सम्मान मिला है, जो दशकों से अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं और अभी भी लगातार काम कर रहे हैं।

Check Also

Ancient Vitthala Murti discovered in Pandharpur temple

Ancient Vitthala Murti discovered in Pandharpur temple

Ancient Vitthala Murti discovered in Pandharpur’s temple, Vijayanagara Ujjivana Trust demands its consecration in Hampi …