A very powerful poem indeed. When we are young, we have dreams and aspirations. Most of these are never realized. Life passes on and suddenly one day we find ourselves exhausted, past our primes even as our dreams lay shattered. This sentiment is so beautifully captured by Gopal Das Neeraj in this classic poem. The poem was also adopted as …
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खग उड़ते रहना जीवन भर: नीरज की एक प्रेरक हिंदी कविता
In this poem, Neeraj exhorts us to keep making efforts and not lose hope. These lines are very similar to what Lord Krishna told Arjuna in Kurukshetra (Geeta Chapter 2, shlokas 35, 36 and 37) खग उड़ते रहना जीवन भर: गोपाल दास नीरज खग! उड़ते रहना जीवन भर! भूल गया है तू अपना पथ‚ और नहीं पंखों में भी गति‚ किंतु …
Read More »चाँद और लम्बू जिराफ़ की दोस्ती पर हिंदी बाल-कहानी
रोज़ की तरह आज फ़िर खेल-खेल में चाँद सितारों की आपस में लड़ाई हो गई थी। चाँद बेचारा क्या करता, वह एक तरफ़ अकेला पड़ जाता और ढेर सारे सितारे एक तरफ़… आख़िर चाँद रूठ गया और बोला – “मैं जा रहा हूँ, धरती की ओर…” सितारे यह सुनकर घबरा गए। उन्होंने उसे बहुत मनाया। उसकी बड़ी खुशामद की, पर …
Read More »दृष्टिहीनों का फुटबॉल: विद्यार्थियों और बच्चों के लिए जानकारी
दृष्टिहीन लोग भी कई प्रकार के खेल खेलते हैं जिनमें एथलैटिक्स, खो-खो, कबड्डी से लेकर क्रिकेट व फुटबॉल भी हैं। दृष्टिहीनों द्वारा खेले जाने वाले फुटबॉल की तुलना में कुछ अंतर होता है। इसे जिस विशेष फुटबाल से खेला जाता है वह लुढ़कने पर आवाज करती है जिससे खिलाड़ी उसकी दिशा का अंदाजा लगा कर उस तक जा पहुंचता है। …
Read More »“अभी दिल्ली दूर है” की कहावत और हजरत निज़ामुद्दीन औलिया
मध्यकाल में दिल्ली ही नहीं बल्कि सारे भारत के जनजीवन पर सूफियों का बड़ा प्रभाव था। यद्यपि सुलतान इसलाम के पालक और संरक्षक थे, मुल्लों और कठमुल्लों के बहकावे मे आ कर हिंदू प्रजा पर मनमाने अत्याचार भी करते थे। लेकिन सुलतान के अधिकांश अमीरों, विशेषतः आम जनता का सूफीमत की ओर अधिक झुकाव था। सूफी धर्म भारत के अद्वैतवाद …
Read More »समझो प्रकृति का महत्व: विश्व पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस: 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस संयुक्त्त राष्ट्र द्वारा प्रकृति को समर्पित दुनिया भर में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा उत्सव है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन 1972 में संयुक्त्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्वभर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी …
Read More »लकड़बग्घा: पर्यावरण का रक्षक
लकड़बग्घा विचित्र जंगली प्राणी है। वह विभिन्न प्रकार की बोलियां बोलता है। उसका ठहाका बहुत प्रसिद्ध है। आमतौर पर अच्छा भोजन पाकर वह अचानक ही जोर से ठहाका लगता है। वन विशेषज्ञ मैथ्यूज ने लिखा है, “हरिद्धार के वनों में मैंने लकड़बग्घे के ठहाके बहुत सुने है। चांदनी रात में वनों में ये ऐसे अट्हास करते है जैसे कोई पागल …
Read More »धूम्रपान है दुर्व्यसन: धूम्रपान आदत पर विद्यार्थियों और बच्चों के लिए कविता
धूम्रपान है दुर्व्यसन, मुँह में लगती आग स्वास्थ्य, सभ्यता, धन घटे, कर दो इसका त्याग। बीड़ी-सिगरेट पीने से, दूषित होती वायु छाती छननी सी बने, घट जाती है आयु। रात-दिन मन पर लदी, तम्बाकू की याद अन्न-पान से भी अधिक, करे धन-पैसा बरबाद। कभी फफोले भी पड़ें, चिक जाता कभी अंग छेद पड़ें पोशाक में, आग राख के संग। जलती …
Read More »मैंने माँ को देखा है: आनंद बक्षी का मातृ दिवस स्पेशल फ़िल्मी गीत
Mastana is a 1970 Bollywood comedy film directed by Adurthi Subba Rao. The film stars Mehmood and Vinod Khanna. The film premiered on 16 October 1970 in Bombay. The film is remake of the Telugu film Sattekalapu Satteya (1969), directed by K. Balachander, starring Chalam and was remade in Kannada Language in 1980 as Manku Thimma by Dwarakish. मैंने माँ …
Read More »बाप की जगह माँ ले सकती है: आनंद बक्षी की एक दर्द भरी लोरी
दर्द का रिश्ता 1982 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह एक डॉक्टर दंपत्ति पर आधारित है जिसमे पत्नी न्यूयार्क में रहकर कैंसर के इलाज की कशिश करती है वह पति मुंबई में कार्य करने के लिए भारत लोट आते है, इसी कारण वोह तलाक ले लेते है। बाद में उनकी बेटी खुद कैंसर रोग से घिर जाती है। …
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