अपने गुणों से न रहें बेखबर

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चांदनी ने बचपन से ही इंटीरियर डैकोरेटर बनने का ख्वाब देखा था और उसने अपना ख्वाब पुरा भी किया। आज वह अपने छोटे से शहर में नंबर एक इंजीनियर डिजाइनर मानी जाती है, परंतु उसे इस बात का दुख है कि फैमिली के प्रतिबन्ध के कारण वह किसी बड़े शहर में अपनी पहचान नहीं बना सकी, जहां उसकी काबिलियत एक बड़े स्तर पर पहचानी जाती या नामी इंटीरियर्स की तरह उसके चर्चे भी समाचारपत्रों और मैगजीन इत्यादि में होते, जबकि उसके साथियों को वह मुकाम हासिल है।

रचना साधारण रूप-रंग की है, परंतु अपनी लिखी कविताओं से वह दोस्तों और रिश्तेदारों में काफी प्रसिद्ध है। अपने साधारण रूप-रंग से उत्पन्न हुई कुंठा से उसने अपनी ही प्रतिभा को एक दायरे में सिमित कर लिया है। यहां तक कि वह किसी मुशायरे में बुलाने पर भी नहीं जाती कि लोग उसका मजाक उड़ाएंगे। जब लोग उसकी कविताओं की प्रशंसा करते हैं, तो उसे लगता है कि वह उसकी साधारण रंगत का मजाक उड़ा रहे हैं और वह अपने में और ज्यादा सिमट जाती है।

शिकवा है ये झूठा:

चांदनी और रचना दो उदाहरण हैं ऐसी लड़कियों की जो अपने करियर या पर्सनैलिटी को लेकर किसी न किसी हीन भावना में घिरी रहती हैं। ऐसी अनेक युवतियां हैं,जिन्हें जिंदगी से इस बात की शिकायत रहती है कि उनके हिस्से में सबसे ज्यादा परेशानियां और दुख आए हैं। वह कुछ और हो सकती थी, परंतु जिंदगी ने उन्हें वह मौका ही नहीं दिया।

अपने अवगुण आते नजर:

किसी दूसरे की बात ही छोड़ो, इन्हें अपने में अवगुण इतने ज्यादा नजर आने लगते हैं कि इनके साए सोच पर गहराने लगते हैं, क्योंकि अपने वे गुण जो इन्हें दूसरों से अलग बनाते हैं, इन्हें नजर नहीं आ पाते।

जब यह सोच अपनी पैठ बना ले कि हमारा कोई काम ठीक नहीं हो पाता, तो आप अपनी बात दूसरों के सामने कैसे रख पाएंगे या फिर नए आइडियाज कैसे आ पाएंगे।

दूसरों की अपेक्षा अपनी ही आलोचना आपका मनोबल तो गिराती है और इससे प्रभावित होने लगते हैं हमारे आस-पास के लोग। इसके लिए जरूरी है कि वे शिकवे जो जिंदगी से लेकर अपने आप तक से हम किए बैठे हैं उन्हें दरकिनार कर अपनी क्षमताओं तथा विश्वास को पहचानें तथा उन्हें नए नजरिए से लोगों के सामने रखें।

एक छोटे शहर में रहते हुए लोगों को इंटीरियर डैकोरेशन के महत्त्व से अवगत कराना अपने-आप में बड़ी उपलब्धि हैं, क्योंकि बड़े शहरों के लोग तो पहले से ही इसे जानते है। या फिर रूप-रंग पर साहित्य का मुलम्मा जब चढ़ता है तो वह व्यक्तित्व को पहले से कहीं ज्यादा निखार देता है।

पहचानें खुद को:

अपनी खूबियों को पहचानें और यह सोचें कि सिमित साधनों में भी आप क्या कर सकती हैं। फिर भी आपको स्वयं में कोई कमी नजर आए तो हीन भावना का शिकार बनने की अपेक्षा अपना ध्यान खुद को अपडेट करने की तरफ लगा दें और अपने प्रोफैशन और रूचि के लिए नए-नए तरीके खोजें।

महत्वाकांक्षा की लगाम न खींचें:

जीवन में आगे बढ़ना है तो आपको महत्वाकांक्षी तो होना ही होगा, परंतु वह इतना ज्यादा भी न हो कि आपके सही लक्ष्य के आड़े आ जाए।

जीवन में छोटी-छोटी सफलताओं को प्रगति का पायदान बना लें, इससे आपको संतुष्टि मिलेगी और बड़ी सफलता भी एक दिन मिल ही जाएगी।

सफलता के मायने:

बैंक बैलेंस और बड़ा-सा बंगला सफल होने की निशानी नहीं है बल्कि जिस प्रोफैशन में आप आई हैं, उसमें धीरे-धीरे बढ़ते हुए नाम कमा लेना ही सफलता के मायने हैं, क्योंकि इसने आपकी पर्सनैलिटी और आपके नाम को एक पहचान दी है। किसी भी करियर में सफल होने के लिए आप उससे जुड़ी नई जानकारियां हासिल करती रहें और यदि किसी कारणवश आप अपने प्रोफैशन से जुड़ी उच्च शिक्षा नहीं प्राप्त कर पाई तो अब एक बार फिर से उसके लिए प्रयास करें, ताकि आपकी उन्नति के रास्ते बन सकें।

दुनिया में महान व्यक्ति वही माना जाता है जो विषम परिस्थतियों के बावजूद अपने जीवन को बेहतर बना सकता है। अपनी सोच को पॉजिटिव बनाएं।

महके गुणों की खुशबु:

यदी नकारात्मक टिप्पणी करने वाले लोग हैं, तो ऐसे लोग जो आपकी खामियों के साथ खूबियों की भी तारीफ करना जानते हैं। ऐसे लोगों से दोस्ती करें को जीवन के प्रति पॉजिटिव अप्रोच रखते हों, क्योंकि उनका साथ आपको भी आशावादी बनाएगा।

सहेज लें मीठे पल:

कभी किसी की कोई बात आपके मन को छू जाए, कोई प्रशंसा के मधुर बोल बोल जाए, कभी बड़ों का सहज ही आशीर्वाद मिल जाए या कोई उम्मीद से परे थैंक यू बोल जाए तो इन्हें डायरी में नोट्स कर लें। अपनी उपलब्धियां, यादें, रिश्तों की महक, जीवन के सुख-दुख और पेरैंट्स की डांट और प्रशंसा सब लिखें। जब जीवन में निराशा या कोई असफलता परेशान करे तो उसे पढ़ लें आपके होंठों पर मुस्कान ही नहीं आएगी, बल्कि कुछ कर दिखाने की प्रेरणा भी मिलेगी।
_______ हेमा शर्मा, चंडीगढ़

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