अक्सर पेरैंट्स का सारा ध्यान बच्चों के पढाई में अव्वल आने पर ही केन्द्रित रहता है। यही वजह है कि बच्चे पढाई में तो अच्छे अंक ले लेते हैं लेकिन व्यवहारिक ज्ञान में पीछे रह जाते हैं। व्यवहारिक ज्ञान यानी परिस्थिति को सही तरीके से और स्मार्टली डीलर करने की कला। यह हर माता-पिता का कर्त्तव्य है कि वे बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकल नालेज भी दें ताकि बच्चा हर चुनौती का डट कर सामना सीख सके…
जरूरी व एमरजैंसी नम्बरों की जानकारी: पांच वर्ष तक आयु के बच्चे को अपना, माता-पिता का नाम, फोन नम्बर व घर का पूरा पता अवश्य याद कराएं। बच्चे बड़े हैं तो उन्हें जरूरी कंटैक्ट नम्बर्स, एमरजैंसी नम्बर जैसे डाक्टर, पुलिस, एम्बुलैंस और स्कूल के नम्बर अच्छी तरह याद होने चाहिएं ताकि किसी विषम परिस्थिति में वह सिचुएशन हैंडल कर सकें।
पड़ोसियों से मिलनसार व्यवहार: यह सच है कि मुश्किल समय में पड़ोसी ही सब से पहले आपके काम आते हैं। बच्चों की आदत होती है कि वे घर में बैठकर मोबाईल या कम्प्यूटर से चिपके रहते हैं। छोटी उम्र के बच्चे ऐसा करें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन दस साल की आयु से ऊपर बच्चे से तो कोई पड़ोसी या मेहमान अभिवादन की उम्मीद रखता ही है। अतः बच्चों को समझाएं कि जब भी कोई मेहमान घर आए तो उन्हें बिठाएं, नमस्ते करें और पानी के लिए पूछें। उनके साथ थोड़ी देर बैठकर बातचीत करें और उनकी बातों का पूरी शालीनता से जवाब दें। सबसे मीठा बोलें और मिलनसार बनें।
सुरक्षा को लेकर सावधान करें: बच्चों को समझा जरूरी है कि किन परिस्थितयों में उन्हें अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना है। उन्हें बताएं कि…
- यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से उनसे छेड़खानी करने की कोशिश कर रहा हो तो अपने आसपास के लोगों को सहायता के लिए पुकारें। अगर उसके साथ कुछ भी ऐसा हो तो वह आपको इस बारे में जरुर बताए।
- किसी भी अपरिचित व्यक्ति से बस में, ट्रेन में या रास्ते में खाने की कोई वस्तु न लें।
- सुनसान जगह पर बच्चे अकेले न जाएं।
- किसी अपरिचित से कभी लिफ्ट न मांगें।
- आगर लगे कि कोई पीछा कर रहा है तो भीड़ वाली जगह की ओर चलें जाएं या रास्ता बदल लें।
- किसी अनजान व्यक्ति को अपने घर का पता या फोन नम्बर न बताएं।
- घर पर हैं तो की-होल से देखे बिना दरवाजा न खोलें।
फोन एटीकेट्स भी सिखाएं: बच्चों को समझाएं कि फोन आने पर वे हैलो या नमस्ते बोलकर विनम्रता से बात करें। ऐसा न हो कि फोन का रिसीवर नीचे रखकर मम्मी या पापा को बुलाने चल दिए। ऐसा करने से फोन करने वाले को व्यर्थ में पैसा पड़ते जाएंगे और आपका व्यवहार उसे पसंद नहीं आएगा। बच्चों को बताएं कि फोन आने पर वे नाम, जरूरी काम और उनका कंटैक्ट नम्बर पूछ लें पर अपनी अधिक जानकारी न दें। यदि घर में मम्मी या पापा नहीं है तो बाद में फोन करने को कहें। जरूरी बात यह है कि फोन पर धीमी सौम्य आवाज में बातें करने की कला समझाएं।
अजनबियों से अलर्ट रहें: बच्चों को अजनबी लोगों से स्मार्टली हैंडल करना आना चाहिए । अगर बच्चों से बाहर का कोई व्यक्ति फ्रैंडली होने की कोशिश कर रहा है तो बच्चों को पर्याप्त दूरी बनाकर रखने की शिक्षा दें। खासतौर से उन्हें अपने परिवार के बारे में किसी को जानकारी देने से रोकें।
याद रखने वाली अन्य बातें: घर में भी कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनके बारे में बच्चों को समझाना जरूरी है जैसे:
- घर में गैस सिलैंडर, इलेक्ट्रिसिटी और पानी के मीटर की जानकारी।
- घर की चाबी, घर के किसी सदस्य द्वारा ली जाने वाली दवाई का नाम, फैमिली डाक्टर और फैमिली फ्रैंड का कांटैक्ट नम्बर।
- मिक्सर, गीजर चलाने की जानकारी।
________ गगन