पुरानी सोच रखने वाले लोग आज भी यही समझते हैं कि स्त्री कितनी भी तरक्की कर ले या वर्किंग होने के नाते परिवार को आर्थिक रूप से कितना भी सपोर्ट करती हो, पति, बच्चों और परिवार की जिम्मेदारियों को पूर्ण रूप से नीभाना भी उसी का ही काम है। हमने आज तक तकरीबन घरों में किसी न किसी महिला को ही घर-परिवार के काम करते देखा है जबकि पुरुषों को बाहर के काम। आज हर दूसरे इंसान की यही सोच होती है कि उसकी पार्टनर अच्छी जॉब में हो ताकि परिवार का भविष्य सुखमय हो।
इसके साथ ही आज के वक्त के साथ चलने वाले पति जानते हैं कि उनकी पत्नी की घर चलाने की जिम्मेदारी उनकी पत्नी की घर को चलाने की जिम्मेदारी उनकी आफिस ड्यूटी से अधिक लम्बी और थका देने वाली होती है और जब पत्नी वर्किंग हो तो समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में कुछ पति अपनी पत्नी की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं, वे घर के छोटे-छोटे कामों जैसे कपड़े सुखाना, सब्जी काटना, बच्चों की नैप्पी बदलना, होमवर्क करवाना या फिर चाय बनाना आदि में पत्नी का हाथ बंटाते हैं। ऐसे में आज पति-पत्नी दोनों अपनी-अपनी भूमिकाएं वक्त के हिसाब से बदल रहे हैं ताकि वैवाहिक जीवन की गाड़ी सरलता से लम्बी राहों तक चल सके…
एक-दूसरे की प्रतिभा निखारने में मददगार:
शादी के पहले हर लड़की शिक्षा के महत्त्व को जान अपना करियर बनाने में जुट जाती है और किसी भी तरह अपने परिश्रम के बल पर अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहती है। शादी की बात पक्की होने पर वह अपने ससुराल वालों को बताने में संकोच नहीं करती कि शादी के बाद वह अपना करियर नहीं छोड़ेगी तो ऐसे में जो लड़के वर्किंग वूमैन को प्राथमिकता देते हैं, उनकी सोच में बहुत परिवर्तन आए हैं।
वे अपनी पत्नी की प्रतिभा और परिश्रम को व्यर्थ नहीं होने देना चाहते हैं बल्कि दोनों मिलकर एक-दूसरे की हौसला अफजाई करते हुए आगे बढने में सहयोग देते हैं। अब वे एक-दूसरे को बराबरी का दर्जा देने लगे हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार जो पति-पत्नी अपने वैवाहिक रिश्ते को मजबूत आधार देना चाहते हैं उनका मानना है कि वे एक-दूसरे के प्रति बराबरी का दृष्टिकोण रखें।
आत्मसम्मान पर न आए आंच:
अपने अहं की वजह से पुरुष कभी झुकना पसंद नहीं करते, लेकिन आज समय के बदलाव के साथ वह बदल गया है। आज वह अपनी पत्नी के आत्मसम्मान की कद्र करता है और उस पर कोई आंच नहीं आने देता। कई बार जब वह पत्नी को कुछ कड़वे शब्द कह जाता है तो अपनी गलती सुधारने के लिए पत्नी से माफी मांगने में भी नहीं हिचकिचाता।
बढ़ रहा समर्पण भाव:
एक-दूसरे के कामों को देखते हुए एक-दूसरे के प्रति समर्पण भाव भी बढने लगा है। जो काम केवल पत्नी के ही हैं आज वे काम पति भी करने लगे हैं। रसोई से लेकर शापिंग तक के काम भी वे देखते हैं। मतलब यह हुआ कि समर्पण भाव का दायरा बेशक कुछ ही घरों में देखने को मिलता हो परंतु नए जमाने के कपल्स के लिए यह नई बात नहीं रह गई है। वे बेशक प्रैक्टिकल हो गए हों लेकिन जिंदगी जीने की राहों को उन्होंने बड़े अच्छे से संवार लिया है।
आपसी तालमेल बिठाकर काम को बांट कर करने वाले कपल्स को देखकर यह अनुमान लगाना मुश्किल होता है कि वे पति-पत्नी हैं या दोस्त। स्त्री-पुरुष को समर्पणता प्रदान करने वाले नई पीढ़ी को देखकर, पुरानी सोच को रखने वाले दम्पति भी अपनी सोच को वक्त के हिसाब से बदलने में समझदारी दिखाने लगे हैं। एक-दूसरे की आवश्यकताओं को वे शादी के वक्त किए गए वायदों को निभाने तक ही सीमित नहीं रखते बल्कि वक्त के अनुसार साथ निभाने के लिए नए वचनों की रचना भी करते हैं। वे अपनी पत्नी को एक ‘हॉउसवाइफ’ के रूप में नहीं बल्कि ‘होममेकर’ के रूप में एक दोस्त के रूप में देखते हैं। वे समझ चके हैं कि जीवन के हर पल में उनका पार्टनर ही सच्चा साथ दे सकता है।