आचार्य देवो भवः मनुष्य को गुणवान बनाने के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि बिना पढ़ा मनुष्य पशु के सामान होता है। मनुष्य के कार्य और व्यवहार में सुन्दरता और शिष्टता शिक्षा के द्वारा ही आती है। शिक्षा जगत में शिक्षक का एक गौरवपूर्ण स्थान है। बच्चों की शिक्षा का पूर्ण दायित्व शिक्षक पर ही निर्भर करता है। समाज और देश के निर्माण में शिक्षक का महान योगदान होता है। यदि शिक्षक चाहे तो देश को रसातल में पहुंचा दे और चाहे तो देश को स्वर्ग बना दे। एक शिक्षक ही देश के लिए योग्य नागरिक का निर्माण करके देश के भविष्य को बनाता है। अतः शिक्षक को समाज में गौरवपूर्ण और सम्मानपूर्ण स्थान मिलना चाहिए।
अध्यापक का महत्व सर्वविदित है। राष्ट्र का सच्चा और वास्तविक निर्माता अध्यापक ही है क्योंकि वह अपने विद्यार्थियों को शिक्षित और विद्वान् बनाकर ज्ञान की एक ऐसी अखंड ज्योति जला देता है जो देश और समाज के अन्धकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाती है।
प्रत्येक देश के विद्यार्थी उस देश के भावी निर्माता होते हैं। उनका नैतिक, मानसिक और सामाजिक विकास अध्यापक पर ही निर्भर करता है। अध्यापक उस कुम्हार के सामान होता है जो शिष्य रुपी घड़े को अपने प्रयत्नों द्वारा सुन्दर और सुडौल रूप प्रदान करता है।
Best poem and motivation for a teacher.
Its is a very nice poem, i like so much that i’m teaching it to my son for one of his elocution competition’s. He is in first grade. Thank you. And all the very best !