Haryanvi poem on lost Indian culture [3]
ढूंढते रह जाओगे: Harynvi poem
कासण मांजन का जूणा
साधूआँ का बलदा धुणा
गुग्गे का गुलगला
बालक चुलबला
बोरले आली ताई
सूत की कताई
मुल्तानी अर गेरू
बलध अर रेहडू
कमोई अर करवे
चा – पाणी के बरवे
ब्याह मै खोड़िया
बालकां का पोड़िया
ढूंढते रह जाओगे!
हटड़ी अर आला
बुडकलाँ की माला
दूध पै मलाई
लोगाँ कै समाई
खेताँ मै कोल्हू
नामाँ मै गोल्हू
ढूंढते… !
गुड़ की सुहाली
खेताँ मै हाली
हारे की सिलगती आग
ब्याह मै पेठे का साग
हाथ का बँटा बाण
सरगुन्दी आली नाण
हाथ मै झोला
खीर का कचोला
ड्योढ़ी की सोड
बंदडे का मोड़ [सेहरा]
खेत में बैठ के खाना,
डोल्ला का सिरहाना,
लावणी करती लुगाईया,
पानी प्याती पनहारिया,
डेला नीचे खाट,
भाटा के बाट,
ढूंढते… !
सिर मैं भौरी
अणपढ़ छौरी
चरमक चूँ की जूती
दुध प्यांण की तूती
मावस की खीर
पहंडे का नीर
गर्मियां मैं राबड़ी
खेताँ मैं छाबड़ी
घरां मैं पौली
कोरडे की होली
चणे के साग की कढी
चाबी तैं चालदी घडी
काबुआ कांसी का
काढ़ा खांसी का
काजल कौंचे की
शुद्धताई चौंके की
गुलगला बरसात का
चूरमा सकरात का
सीठणे लुगाइयाँ के
नखरे हलवाईयाँ के
भजनी अर ढोलक
माट्टी के गुल्लक
ढूंढते… !
~ WhatsApp से ली गयी
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