आई है होली: होली स्पेशल बाल-कविता – होली का त्योहार मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि राक्षसों के राजा कश्यप और उसकी पुत्री दिति के दो पुत्र थे हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप। हिरण्याक्ष बलशाली तो था ही उसने ब्रह्मा की तपस्या से यह वरदान प्राप्त किया हुआ था कि न तो कोई मनुष्य, न भगवान और न ही कोई जानवर उसे मार सकेगा। ब्रह्मा से वरदान पाकर हिरण्याक्ष स्वयं को सबसे अधिक बलशाली समझने लगा था और इसके अभिमान में वह अत्यंत क्रूर और अत्याचारी हो उठा था। एक बार हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र के नीचे पाताल लोक में छिपा दिया। जिससे समस्त लोक सहित देवता भी चिंतित हो गए। पृथ्वी को पाताल लोक से बाहर लाने के लिए सभी देवताओं ने मिलकर जल में निवास करने वाले भगवान विष्णु का आवाहन कर हिरण्याक्ष को सबक सिखाने की प्रार्थना की। देवताओं ने विष्णु भगवान को बताया कि हिरण्याक्ष ने ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया हुआ है कि न तो उसे कोई आदमी, न भगवान और न ही कोई जानवर मार सकता है। तब भगवान विष्णु ने ‘वाराह’ नाम का अवतार रचा जिसका सिर तो सूअर का और बाकी शरीर मनुष्य का था। अपने इस अवतार में विष्णु ने पृथ्वी को पाताल से बाहर लाकर समुद्र तल के ऊपर स्थित कर हिरण्याक्ष का वध कर दिया।
आई है होली: डॉ. सरस्वती माथुर जी की होली पर कविता
सात रंगो में
सात सुरों-सा,
रंग लिए
आई है होली।
शुभ कीरत का
ताज पाग-सा,
संग लिए
आई है होली।
राग रंग की
अनंत शुभकामनाओं का,
शंखनाद लिए
आई है होली।
फागुनी पिचकारी में
रंग बरसाती,
प्यार की गंध लिए
आई है होली।
Kya baat hai. Happy Holi everyone.