आँचल बुनते रह जाओगे - राम अवतार त्यागी

आँचल बुनते रह जाओगे – राम अवतार त्यागी

मैं तो तोड़ मोड़ के बन्धन,
अपने गाँव चला जाऊँगा,
तुम आकर्षक सम्बंधों का,
आँचल बुनते रह जाओगे।

मेला काफी दर्शनीय है
पर मुझको कुछ जमा नहीं है,
इन मोहक कागजी खिलौनों में
मेरा मन रमा नहीं है।
मैं तो रंग मंच से अपने
अनुभव गाकर उठ जाऊँगा
लेकिन, तुम बैठे गीतों का
गुँजन सुनते रह जाओगे।

आँसू नहीं फला करते है,
रोने वाले क्यों रोता है?
जीवन से पहले पीड़ा का
शायद अन्त नहीं होता है।
मै तो किसी सर्द मौसम की
बाहों में मुरझा जाऊँगा
तुम केवल मेरे फूलों को
गुमसुम चुनते रहे जाओगे।

मुझको मोह जोड़ना होगा,
केवल जलती चिंगारी से।
मुझसे सन्धि नहीं हो पाती
जीवन की हर लाचारी से।
मैं तो किसी भँवर के कन्धे
चढ़कर पार उतर जाऊँगा,
तट पर बैठे इसी तरह से
तुम सिर धुनते रह जाआगे।

∼ राम अवतार त्यागी

Check Also

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: Date, History, Wishes, Messages, Quotes

National Philosophy Day: This day encourages critical thinking, dialogue, and intellectual curiosity, addressing global challenges …