सूनी बगिया कब महकाओगे?
आँगन की रौनक कब लौटाओगे?
कानो में हमारे, अब भी गूंजतीं है
वह किलकारियां तुम्हारी,
वह मीठी बातें और हंसी प्यारी!
वह तस्वीरें तुम्हारी कर जाती है ताजा
फिर यादें पुरानी!
ऐसा लगता है, बस कल ही की बात हो
जब तुमने अपना पहला शब्द पुकारा था,
पहली मुस्कान बिखराई और
पहला कदम डाला था!
फिर तो जैसे तुम रुके ही नहीं…
बेलगाम बस बढ़ते चले गए,
सफलताओं की सीढ़ी चढ़ते चले गए!
अब यह हाल है, तुम इतने व्यस्त हो
समय आगे दौड़ रह है
और तुम उसके पीछे भाग रहे हो!
यदि हो सके तो बस इतना कह दो…
बच्चो, घर कब आओगे?
सूनी बगिया कब महकाओगे?
आँगन की रौनक कब लौटाओगे?