आँगन की रौनक – प्रीती गांधी

Kids Playingबच्चो, घर कब आओगे?
सूनी बगिया कब महकाओगे?
आँगन की रौनक कब लौटाओगे?

कानो में हमारे, अब भी गूंजतीं है
वह किलकारियां तुम्हारी,
वह मीठी बातें और हंसी प्यारी!
वह तस्वीरें तुम्हारी कर जाती है ताजा
फिर यादें पुरानी!

Kid With Dogऐसा लगता है, बस कल ही की बात हो
जब तुमने अपना पहला शब्द पुकारा था,
पहली मुस्कान बिखराई और
पहला कदम डाला था!
फिर तो जैसे तुम रुके ही नहीं…
बेलगाम बस बढ़ते चले गए,
सफलताओं की सीढ़ी चढ़ते चले गए!

अब यह हाल है, तुम इतने व्यस्त हो
Back To Futureसमय आगे दौड़ रह है
और तुम उसके पीछे भाग रहे हो!
यदि हो सके तो बस इतना कह दो…
बच्चो, घर कब आओगे?
सूनी बगिया कब महकाओगे?
आँगन की रौनक कब लौटाओगे?

∼ प्रीती गांधी

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