होली खुशियों और भाईचारे का पर्व है, इस पर्व पर लोग आपसी गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को रंग, गुलाल लगाकर होली मनाते हैं। होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इस दिन होली जलाई जाती है और इसके अगले दिन रंग और गुलाल के साथ होली खेली जाती है, जिसे धुलंडी नाम से जाना जाता है। धुलंडी पर बच्चे-बड़े सभी मिलकर हंसते-गाते एक दूसरे के साथ होली खेलते, सारा दिन मौज-मस्ती में बिताते हैं। मंदिरों में भी होली भक्ति-भाव से गुलाल और फूलों के साथ खेली जाती है, मंदिरों, देवालयों में पूरे फाल्गुन माह होली के गीत-संगीत और भजन प्रसादी के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
आओ खेलें आज होली: शशि पाधा की होली के त्यौहार पर हिंदी कविता
आतंक के प्रहार से सहमती है धरा भोली
प्रेम के गुलाल से आओ खेलें आज होली।
घट रही हैं आस्थाएँ
क्षीण होतीं कामनाएँ
आज धरती के नयन से
बह रहीं हैं वेदनाएँ
खो गई हँसी-ठिठोली कैसे खेलें आज होली।
स्नेह का अबीर हो
सदभाव की फुहार हो
धूप अनुराग की
फागुनी बयार हो
हो राग-रंग की रंगोली ऐसी खेलें आज होली।
गांधी आएँ, गौतम आएँ
ईसा और मोहम्मद आएँ
साधु-सन्त देव आएँ
प्रेम की गाथा सुनाएँ
विश्वास से भरी हो झोली मिलजुल खेलें आज होली।
न कोई घर वीरान हो
न संहार के निशान हों
न माँग सूनी हो कोई
अनाथ न सन्तान हो
दिशा-दिशा हो रंग-रोली ऐसी खेलें आज होली।
∼ शशि पाधा
About The Author: Shashi Padha (शशि पाधा)
शिक्षा: एम ए संस्कृत, एम ए हिन्दी, बी एड।
रचना संसार:
- पाँच काव्य संग्रह: पहली किरन, मानस मंथन, अनंत की ओर, लौट आया मधुमास, मौन की आहटें
- शौर्य गाथा (संस्मरण-संग्रह )
- निर्भीक योद्धाओं की कहानियाँ (कहानी- संग्रह)
पुरस्कार: वर्ष 1968 में जम्मू कश्मीर विश्वविद्यालय से ‘सर्वश्रेष्ठ स्नातक’ के सम्मान एवं स्वर्ण पदक से पुरस्कृत,वर्ष 2015 में काव्य संग्रह ‘अनन्त की ओर’ के लिए केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, 2015 में राष्ट्र भाषा प्रचार समिति जम्मू की ओर से हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रति सतत योगदान के लिए सम्मानित।
विशेष: मेरे गीत अनूप जलोटा तथा अन्य गायकों ने उन्हें स्वर बद्ध करके गाया भी। 2002 में वे USA आईं और North Carolina के चैपल हिल विश्वविद्यालय में हिन्दी भाषा का अध्यापन किया। 2007 में विश्व हिन्दी सम्मेलन New York में भागीदारी।
ई मेल: shashipadha[at]gmail.com