आरती कुंजबिहारी की: अनुराधा पौडवाल हिन्दी सिनेमा की एक प्रमुख पार्श्वगायिका हैं। इन्होंने फिल्म कैरियर की शुरुआत की फ़िल्म अभिमान से, जिसमें इन्होंने जया भादुड़ी के लिए एक श्लोक गाया। यह श्लोक उन्होंने संगीतकार सचिन देव वर्मन के निर्देशन में गाया था। उसके बाद उन्होंने 1974 में अपने पति संगीतकार अरुण पौडवाल के संगीत निर्देशन में भगवान समाये संसार में फ़िल्म में मुकेश ओर महेंद्र कपूर के साथ गाया।
अनुराधा ने अपने भक्तिपूर्ण गीतों के जरिए श्रोताओं के दिलों में खास पहचान बनाई है। लगभग सात वर्ष तक मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1980 में फिल्म ‘हीरो’ में लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत निर्देशन में ‘तू मेरा जानू है तू मेरा दिलबर है’ की सफलता के बाद अनुराधा इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही।
अनुराधा पौडवाल की किस्मत का सितारा वर्ष 1990 में प्रदर्शित फिल्म ‘आशिकी’ से चमका। इस फिल्म के सदाबहार गीत आज भी दर्शकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
जब अनुराधा का करियर अपने चरम पर था, तब उन्होंने घोषणा कर दी थी कि अब वो सिर्फ टी-सीरीज के लिए ही गाएंगी। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड से ब्रेक ले लिया था और सिर्फ भजन गाने लगी थीं। उनके गाए हुए भजन आज भी लोगों को पसंद आते हैं।
आरती कुंजबिहारी की: श्री कृष्ण आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥ [Title Line]
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक। कस्तूरी तिलक। चंद्र सी झलक।
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग। मधुर मिरदंग। ग्वालिन संग।
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस। जटा के बीच। हरै अघ कीच।
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद। चांदनी चंद। कटत भव फंद।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥