आसान रास्ते – विक्रम मुरारक

आसान रास्ते कोई और चुने
उनपर कोई और चले।

मुझे चाहिए वह रास्ता जिसमें
कांटें हों, कंकर और पत्थर हों
जो भयानक जंगलो से गुजरे
उस पार कोई ऐसा सूरज है
कोई ऐसी दुनिया है
जो किसी ने नहीं देखी है।

शायद मै मर जाऊं,
घायल होकर गिर जाऊं!
तो क्या?

∼ विक्रम मुरारक

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