आठवाँ आने को है - अल्हड़ बीकानेरी

आठवाँ आने को है – अल्हड़ बीकानेरी

मंत्र पढ़वाए जो पंडित ने, वे हम पढ़ने लगे,
यानी ‘मैरिज’ की क़ुतुबमीनार पर चढ़ने लगे।
आए दिन चिंता के फिर दौरे हमें, पड़ने लगे,
‘इनकम’ उतनी ही रही, बच्चे मगर बढ़ने लगे।
क्या करें हम, सर से अब पानी गुज़र जाने को है,
सात दुमछल्ले हैं घर में, आठवाँ आने को है।

घर के अंदर मचती रहती है सदा चीख़ो­पुकार,
आज है पप्पू को पेचिश, कल था बंटी को बुखार।
जान कर भी ठोकरें खार्इं हैं हमने बार­बार,
शादी होते ही शनीचर हो गया हम पर सवार।
अब तो राहू की दशा भी हम पे चढ़ जाने को है,
सात दुमछल्ले हैं घर में, आठवाँ आने को है।

देखिये क़िस्मत का चक्कर, देखिये कुदरत की मार,
दिल में है पतझड़ का डेरा, घर में बच्चों की बहार।
मुँह को तकिये में छुपाकर, क्यों न रोए ज़ार­ज़ार,
रोटियों के वास्ते ‘क्यूँ’, चाय की खातिर क़तार।
अपना नंबर और भी पीछे खिसक जाने को है,
सात दुमछल्ले हैं घर में, आठवाँ आने को है।

कोई ‘वेकेंसी’ नहीं घर हो गया बच्चों से ‘पैक’,
खोपड़ी अपनी फिरी भेज हुआ बीबी का ‘क्रैक’।
खाइयाँ खोदें कहीं छुप कर बचाएँ अपनी ‘बैक’,
होने ही वाला है हम पर आठवाँ ‘एयर­अटैक’।
घर में फिर खतरे का भोंपू भैरवी गाने को है,
सात दुमछल्ले हैं घर में, आठवाँ आने को है।

∼ अल्हड़ बीकानेरी

About Alhad Bikaneri

श्यामलाल शर्मा उर्फ अल्हड़ बीकानेरी (17 मई 1937 – 17 जून 2009) हिन्दी साहित्य के जाने-माने हास्य कवि थे। उनका जन्म हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बीकानेर गाँव में हुआ था। श्री बीकानेरी की शब्द-यात्रा 1962 से गीत-गजल में पर्दापण हुई। उनकी साहित्यिक रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित एवं आकाशवाणी, दूरदर्शन पर भी प्रसारित हुई। वर्ष 86 में हरियाणवी फीचर फिल्म ‘छोटी साली’ के गीत-कहानी का लेखन व निर्माण किया। उन्होंने लगभग 15 पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘भज प्यारे तू सीताराम’, ‘घाट-घाट घूमे’, ‘अभी हंसता हूं’, ‘अब तो आंसू पोंछ’, ‘भैंसा पीवे सोम रस’, ‘ठाठ गजल के’, ‘रेत का जहाज’ एवं ‘अनछुए हाथ’, ‘खोल देना द्वार’ और ‘जय मैडम की बोल रे’ प्रसिद्ध रही। उनको 1996 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2004 हरियाणा गौरव पुरस्कार से भी नवाजा गया। इसके अतिरिक्त 1981 में ठिठोली पुरस्कार दिल्ली, काका हाथरसी पुरस्कार, उज्जैन का टेपा पुरस्कार, कानपुर का मानस पुरस्कार, बदायूं का व्यंग्य पुरस्कार, इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती एवं यथा संभव उज्जैन पुरस्कार भी प्राप्त हुए। इसके अलावा अखिल भारतीय कवि सभा दिल्ली का काव्य गौरव एवं दिल्ली सरकार काका हाथरसी सम्मान भी मिला।

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