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आया है फागुन: डॉ. सरस्वती माथुर

हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का बारहवाँ तथा अंतिम महीना जो ईस्वी कलेंडर के मार्च माह में पड़ता है। इसे वसंत ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी। इस माह में अनेक महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं जिसमें होली प्रमुख हैं।

हिंदू पंचांग का आखिरी महीना फाल्गुन कहलाता है। इस महीने जो पूर्णिमा आती है उसे फाल्गुनी नक्षत्र कहा जाता है। इस मास को आनंद और उल्लास का माह कहा जाता है। इसी समय से हल्की-हल्की गर्मी शुरू हो जाती है। साथ ही सर्दी कम होने लगती है। इसे वसंत ऋतु का महीना भी कहा जाता है। इस माह में कई अहम त्यौहार आते हैं जिनमें होली प्रमुख है। तो आइए जानते हैं फाल्गुन मास कब से शुरू हो रहा है और क्या है इस माह का धार्मिक महत्व।

आया है फागुन: डॉ. सरस्वती माथुर

मेहन्दी के रंग लिए
आया है फागुन
शहरों गाँवौ में
छाया है फागुन।

जीवन में रस
टटोल रहा फागुन
पनघट चौपालों में था
डोल रहा फागुन।

रंगों में डूबे हैं
संगी साथी
भांग सांसों मे
घोल रहा फागुन।

तितली के रंग लिए
आया है फागुन
रक्तिम टेसू रंगों से
पलाशी बारिश
बरसा रहा फागुन।

होली के रंग संग
गुलालों के सतरंग ले
बस फागुन ही फागुन।

डॉ. सरस्वती माथुर

फाल्गुन माह में आते हैं कई प्रमुख त्यौहार:

  • फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां लक्ष्मी और मां सीता की पूजा की जाती है।
  • फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवजी की अराधना की जाती है। यह दिन महाशिवरात्रि कहलाता है।
  • फाल्गुन मास में चंद्रमा का जन्म माना जाता है। ऐसे में इस माह चंद्रमा की भी अराधना की जाता है।
  • इस मास में होली भी मनाई जाती है।
  • दक्षिण भारत में उत्तिर नामक मंदिरोत्सव का पर्व भी मनाया जाता है।

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