आया वसंत: सोहनलाल द्विवेदी – Here is a simple poem on spring for children. The scenery described comprising the mustard fields and flowering of mango trees is something that many urban children today would not be familiar with. For old timers, these things arouse nostalgia.
आया वसंत: सोहनलाल द्विवेदी
आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंत
सरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
…
ले कर सुगंध बह रही पवन
हरियाली छाई है बन बन
सुंदर लगता है घर आँगन
है आज मधुर सब दिग् दिगंत
आया वसंत आया वसंत
भौंरे गाते हैं नया गान
कोकिला छेड़ती कुहू तान
है सब जीवों के सुखी प्राण
इस सुख का हो अब नहीं अंत
…
∼ “आया वसंत” poem by “सोहनलाल द्विवेदी”
सोहन लाल द्विवेदी (23 फरवरी 1906 – 1 मार्च 1988) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए देश-भक्ति व ऊर्जा से ओतप्रोत आपकी रचनाओं की विशेष सराहना हुई और आपको राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया।
आप महात्मा गांधी से अत्यधिक प्रभावित हुए। द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं।
आपने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम. ए., एल. एल. बी. की डिग्री ली और आजीविका के लिए जमींदारी और बैंकिंग का काम करते रहे। 1938 से 1942 तक वे राष्ट्रीय पत्र ‘दैनिक अधिकार’ के संपादक थे। कुछ वर्षों तक आपने अवैतनिक रूप से बाल पत्रिका ‘बाल-सखा’ का संपादन भी किया।
देश प्रेम के भावों से युक्त आपकी प्रथम रचना ‘भैरवी’ 1941 में प्रकाशित हुई। आपकी अन्य प्रकाशित कृतियां हैं – ‘वासवदत्ता’, ‘कुणाल ‘पूजागीत’, ‘विषपान, ‘युगाधार और ‘जय गांधी’। इनमें आपकी गांधीवादी विचारधारा और खादी-प्रेम की मार्मिक और हृदयग्राही अभिव्यक्ति के दर्शन होते हैं। आपने प्रचुर मात्रा में बाल साहित्य की भी रचना की । उनमें प्रमुख हैं – ‘बांसुरी’, ‘झरना’, ‘बिगुल’, ‘बच्चों के बापू, ‘चेतना’, ‘दूध बताशा, ‘बाल भारती, ‘शिशु भारती’, ‘नेहरू चाचा‘ ‘सुजाता’, ‘प्रभाती’ आदि।
द्विवेदी जी का साहित्य वर्तमान और अतीत के प्रति गौरव की भावना जगाता है।
1969 में भारत सरकार ने आपको पद्मश्री उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया।