माता पिता को शीश नवाते,
अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते
वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
नहा-धोकर रोज शाला जाते
पढ़ाई में सदा अव्वल आते
वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
कभी न किसी से झगड़ा करते
बात हमेशा सच्ची कहते,
ऊंच-नीच का भाव न लाते
वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
कठिनाइयों से कभी न घबराते
हमेशा आगे ही बढ़ते जाते,
मीठी बातों से सबका मन बहलाते
वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
~ विजय मैहन्दीरत्ता
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बाल गीतों में छंद का ध्यान भी आवश्यक है।