अबकी आए ऐसा नया साल,
हो जाए हर गाँव शहर खुशहाल।
भइया के मुँह से फूटे संगीत,
भौजी के कंगना से खनके ताल।
आए रे आए ऐसा मधुमास,
फूल खिलाए ठूंठ पेड़ के डाल।
झूम-झूम के नाचे मगन किसान,
इतना लदरे जौ गेहूँ के बाल।
दिन सोना के चाँदी के हो रात,
हर अंगना मे ऐसा होए कमाल।
मस्ती मे सब गाए मिल के फाग,
उड़े प्रेम का ऐसा रंग गुलाल।
लौटे रे लौटे गाँवों मे गाँव,
फिर से जमे ओ संझा का चौपाल।