अमरुद बन गए - डॉ. श्री प्रसाद

अमरुद बन गए – डॉ. श्री प्रसाद

Goatआमों के अमरुद बन गए
अमरूदों के केले
मैंने यह सब कुछ देखा है
आज गया था मेले

बकरी थी बिलकुल छोटी सी
हाथी की थी बोली
मगर जुखाम नहीं सह पाई
खाई उसने गोली

छत पर होती थी खों खों खों
मगर नहीं था बन्दर
बिल्ली ही यों बोल रही थी
Roosterपरसो मेरी छत पर
गाय नहीं करती थी बां बां
बोली वह अंग्रेजी कहा बैल से, भूसा खालो
देखा भलो, ए जी
मुझको हुआ बड़ा ही अचरज
मुर्गा म्याऊं करता
हाथ जोड़कर बैठा’
चूहे से था डरता

पर जब उगा रात में सूरज
चंदा दिन में आया
Angle Dreamsक्या होने को है दुनिया में
मैं काफी घबड़ाया

तुरंत मूँद ली मैंने आँखें
और न फिर कुछ देखा
तभी लगा ज्यों जगा रर्ही है
आकर मुझको रेखा

सपना देखा था अजीब सा
बिलकुल गड़बड़ झाला
सपनों की दुनियां में होता सब कुछ बड़ा निराला!

∼ डॉ. श्री प्रसाद

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