Anubhav Paripakva - Sachchidananda Vatsyayan Agyeya

Agyeya Hindi Poem about Poor People & Frustration अनुभव परिपक्व

माँ हम नहीं मानते –
अगली दीवाली पर मेले से
हम वह गाने वाला टीन का लट्टू
लेंगे ही लेंगे –
नहीं, हम नहीं जानते –
हम कुछ नहीं सुनेंगे।

– कल गुड़ियों का मेला है
मुझे एक दो पैसे वाली
काग़ज़ की फिरकी तो ले देना
अच्छा मैं लट्टू नहीं मांगता –
तुम बस दो पैसे दे देना।

– अच्छा, माँ मुझे खाली मिट्टी दे दो –
मैं कुछ नहीं मांगूंगा:
मेले जाने का हठ नहीं ठानूंगा
जो कहोगी मानूंगा।

सच्‍चिदानन्‍द हीरानन्‍द वात्‍स्‍यायन ‘अज्ञेय’

आपको “अज्ञेय” जी की यह कविता “अनुभव परिपक्व” कैसी लगी – आप से अनुरोध है की अपने विचार comments के जरिये प्रस्तुत करें। अगर आप को यह कविता अच्छी लगी है तो Share या Like अवश्य करें।

यदि आपके पास Hindi / English में कोई poem, article, story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें। हमारी Id है: submission@sh035.global.temp.domains. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ publish करेंगे। धन्यवाद!

Check Also

Annual Personal Number Predictions

Annual Personal Number Predictions 2025: Anupam V Kapil

Celebrity astro-numerologist Anupam V Kapil shows what  your Annual Personal Number reveals about your fate …