यूं तो भारतीय सिनेमा जगत में वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिये अब तक न जाने कितने गीतों की रचना हुयी है लेकिन ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंखो मे भर लो पानी, जो शहीद हुये है उनकी जरा याद करो कुर्बानी।’ जैसे देश प्रेम की अछ्वुत भावना से ओत प्रोत रामचन्द्र द्विवेदी उर्फ कवि प्रदीप के इस गीत की बात ही कुछ और है।
वर्ष 1962 मे जब भारत और चीन का युद्व अपने चरम पर था तब कवि प्रदीप ‘परम वीर मेजर शैतान सिंह’ की बहादुरी और बलिदान से काफी प्रभावित हुये और देश के वीरों को श्रद्धाजंलि देने के लिये उन्होंने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों,जरा याद करो कुर्बानी’ गीत की रचना की। सी.रामचन्द्र के संगीत निर्देशन मे एक कार्यक्रम के दौरान स्वर साम्राज्ञी लता मंगेश्कर से देश भक्ति की भावना से परिपूर्ण इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखों मे आंसू छलक आये थे। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ आज भी भारत के महान देशभक्ति गीत के रूप मे याद किया जाता है।
ऐ मेरे वतन के लोगों: देशभक्ति गीत
ये शुभ दिन है हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आए, जो लौट के घर न आए…
ऐ मेरे वतन के लोगो, ज़रा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी
ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी
तुम भूल न जाओ उनको, इसलिए सुनो ये कहानी
जो शहीद हुए हैं, उनकी, जरा याद करो कुरबानी…
जब घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी सांस लड़े वो… जब तक थी सांस लड़े वो, फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी…
जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में… जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी…
कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई सिख कोई जाट मराठा,
कोई गुरखा कोई मदरासी, कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला… सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर, वो खून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी…
थी खून से लथ – पथ काया, फिर भी बंदूक उठाके
दस – दस को एक ने मारा, फिर गिर गए होश गंवा के
जब अंत समय आया तो… जब अंत-समय आया तो, कह गए के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारो… खुश रहना देश के प्यारो
अब हम तो सफ़र करते हैं।… अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुरबानी
तुम भूल न जाओ उनको, इसलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं, उनकी जरा याद करो कुरबानी
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद की सेना… जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद की सेना…
जय हिंद, जय हिंद जय हिंद, जय हिंद जय हिंद, जय हिंद…
∼ कवि प्रदीप
गाना: ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी (१९६३)
गीतकार: कवि प्रदीप
संगीतकार: सी. रामचंद्र
गायक: लता मंगेशकर
https://www.youtube.com/watch?v=f7G9iQR5uyU
Tribute to honor the sacrifices of the gallant Indian Jawans (infantrymen) who in the 1962 Sino-Indian War fought to the last man and the last round on the icy desolate peaks of the Himalayas with obsolete bolt-action Lee-Enfield rifles against the assault rifles, heavy machine guns, mortars and artillery of the People’s Liberation Army of China.
During 1962 (Indo-China) war days, Kavi Pradeep heard about Param Vir Major Shaitan Singh Bhaati. He was so touched by his sacrifice and bravery that he penned down the lines “Ae Mere Watan Ke Logo”.
Aye Mere Watan Ke Logo emerged as one of the greatest patriotic songs of India. It was while listening to Lata Mangeshkar’s rendition of “Ae Mere Watan Ke Logo” that the then Prime Minister of India, Jawaharlal Nehru, was moved to tears. Reportedly later he confessed to the singer: “Beti tune mujhe rula diya” (my daughter, today you made my eyes moist.)
For writing the song, Pradeep was conferred the honour of “Rashtriya Kavi” (National Poet) by the Government of India.
Nice to find these lines here. I was desperately looking for them. thanks for sharing.