बादल – नेक राम अहिलवर

काले-काले उमड़कर बादल,
लाए पानी भरकर बादल।

बादलों ने जब डाला डेरा,
छाया आकाश में घोर अंधेरा।
दूर से आया चलकर बादल,
लाया पानी भरकर बादल॥

बच्चा बूढा नहीं कोई उदास,
बुझेगी तपती धरती की प्यास।
नहीं भागेगा डर के बादल,
लाया पानी भरकर बादल॥

धरा से लेकर पर्वत की चोटी,
गिरी उन पर बूंदे मोटी-मोटी।
बरसेगा आज जमकर बादल,
लाया पानी भरकर बादल॥

गली-कूचों में पानी-पानी,
बादल की है यही कहानी।
देता जीवन मरकर बादल,
लाया पानी भरकर बादल॥

∼ नेक राम अहिलवर

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