बांसुरी दिन की
देर तक बजते रहें
ये नदी, जंगल, खेत
कंपकपी पहने खड़े हों
दूब, नरकुल, बेंत
पहाड़ों की हथेली पर
धूप हो मन की।
धूप का वातावरण हो
नयी कोंपल–सा
गति बन कर गुनगुनाये
ख़ुरदुरी भाषा
खुले वत्सल हवाओं की
दूधिया खिड़की।
देर तक बजते रहें
ये नदी, जंगल, खेत
कंपकपी पहने खड़े हों
दूब, नरकुल, बेंत
पहाड़ों की हथेली पर
धूप हो मन की।
धूप का वातावरण हो
नयी कोंपल–सा
गति बन कर गुनगुनाये
ख़ुरदुरी भाषा
खुले वत्सल हवाओं की
दूधिया खिड़की।
World Thalassemia Day is celebrated every year on 8th of May to increase the awareness …