बापू ने सिखलाया था,
जाति-धर्म का भेद भुलाकर
सबको गले लगाया था।
संन्यासी का वस्त्र पहनकर
स्वच्छ जीवन बिताया था,
कड़ी-कड़ी कठिनाइयों को
बापू ने पार लगाया था।
सच्चाई की राहों पर चलकर
ज्ञान का दीप जलाया था,
अंग्रेजों से लोहा लेकर
देश को आजाद कराया था।
साहस और कर्तव्य निष्ठा का
सबको पाठ पढ़ाया था,
प्रेम-भाव से रहने का संदेश
बापू ने समझाया था।
त्याग और अहिंसा का मार्ग
बापू ने सिखलाया था।
~ अम्बरीष कुमार दुबे (लखनऊ)
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Bahut sundar kavita. Sargarbhit.