ऐसा करोगे
बार बार खाली करके मुझे
बार बार भरोगे
और फिर रख दोगे
चलते वक्त
लापरवाही से चाहे जहाँ।
ऐसा कहाँ कहा था तुमने
खुश हुआ था मैं
तुम्हारा पात्र बन कर।
और खुशी
मुझे मिली ही नहीं
टिकी तक मुझ में
तुमने मुझे हाथों में लिया
और मेरे माध्यम से
अपने मन का पेय पिया
स्थिति वह भंगुर
होकर भी
बुरी नहीं थी
मगर नरमी न बरतना जाते हुए
डाल देना हर कहीं
जमीन पर गाते हुए
अखर गई मुझे अपनी पात्रता।
मैं नहीं जानता था कि तुम
ऐसा करोगे
बार बार खाली करके
बार बार भरोगे
और चल दोगे अंत में
चाहें जहाँ डाल कर।