यूँ तो हम कहलाते बाल,
भारत की शान बढ़ाएंगे
इस पर शीश झुकाएँगे।
जो हम से टकराएगा
मुफ्त में मारा जाएगा,
कह दो इस जहाँ से
पंगा न ले हिंदुस्तान से।
कहने को हमें जोश नहीं
ये मत समझो होश नहीं,
यह देश जो हमें बुलाएगा
हर बच्चा शीश कटाएगा।
जो हम से टकराएगा
मुफ्त में मारा जाएगा,
कह दो इस जहाँ से
पंगा न ले हिंदुस्तान से।
कहने को हमें जोश नहीं
ये मत समझो होश नहीं,
यह देश जो हमें बुलाएगा
हर बच्चा शीश कटाएगा।
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It is my poem. My mother wrote this. 🙂