ताकते ही रह जाते हैं।
दादा जी अपने बचपन की,
जब बातें उन्हें सुनाते हैं।
घी दूध आनाज फल सब्जियां,
कितने सस्ते मिलते थे।
कितनी कम आय में तब,
परिवार के खर्चें चलते थे।
टि. वी. कंप्यूटर, मोबाइल का तो,
नाम सुनने में नहीं आया था।
बिग बाज़ार और मॉल नहीं थे,
भीड़ भाड़ और जाम नहीं थे।
आज के साधन सुविधा नहीं थीं,
आज की चिंताए दुविधाऍ नहीं थी।