Lakhbir Singh Lakha Maa Sherwali Durga Bhajan बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया

बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया: लखबीर सिंह लखा

दोहा: सदा पापी से पापी को तुम भव सिंदु तारी हो।
कश्ती मझधार में नैया को भी पल में उभारी हो।।
ना जाने कोन ऐसी भूल मेरे से हो गयी मैया।
तुमने अपने इस बालक को मैया मन से विसारी हो।।

बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया।
अपना मुझे बनाले ए मेहरों वाली मैया।।

दर्शन को मेरी अखियाँ कब से तरस रहीं हैं।
सावन के जैसे झर झर अखियाँ बरस रहीं हैं।
दर पे मुझे बुला ले, ए शेरों वाली मैया।।

आते हैं तेरे दर पे, दुनिया के नर और नारी।
सुनती हो सब की विनती, मेरी मैया शेरों वाली।
मुझ को दर्श दिखा दे, ए मेहरों वाली मैया।।

~ लखबीर सिंह लखा

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