होली का त्योहार भारत में फाल्गुन महीने के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह रंगों और खुशियों का त्योहार है। बच्चों में इस दिन बड़ा ही उत्साह रहता है। कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन इस दिन के अवसर के लिए घरों में बनाए जाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन सभी लोगों को सारे गिले-शिकवे मिटाकर दोस्ती कर एक नई शुरुआत करनी चाहिए। यही इस त्योहार का उद्देश्य भी है। अहंकार पर आस्था और विश्वास की जीत के कारण यह त्योहार मनाया जाता है।
बुरा न मानो होली है: अनुष्का सूरी जी की होली पर बाल-कविता
रंगों के संग, मस्ती की टोली है
बुरा न मानो होली है
उम्मीदों की मिठाई है
खुशियों संग मिलाई है
उल्लास में डूबे है सभी
मस्ती हर दिल पर छाई है
कोई नीला है, कोई है हरा
चारो तरफ इन्द्रधनुष सा रंग भरा
खुश हम भी है, हर्ष की बात है
अपनों के संग हर होली खास है
∼ अनुष्का सूरी
क्यों मनाया जाता है होली का त्योहार?
दीति के पुत्र हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु से घोर शत्रुता रखते थे। वे खुद से बढ़कर किसी को कुछ भी नहीं समझते थे। लेकिन उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।
प्रहलाद भगवान विष्णु में बहुत आस्था रखता था और अपने पिता के मना करने पर भी वह उनकी ही पूजा करता था। इस बात से बेहद नाराज और गुस्सा होकर हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र को मार देने के कई प्रयास किए।
एक बार उन्होंने प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका की मदद ली। होलिका को भगवान शंकर से वरदान मिला हुआ था। उसे वरदान के रूप में एक ऐसी चादर मिली थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। होलिका उस चादर को ओढ़कर और प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। लेकिन वह चादर उड़कर प्रहलाद के ऊपर आ गई और प्रहलाद की जगह स्वयं होलिका ही जल गई!