फिर उस चक्कर में इक चक्कर
फिर उस चक्कर में इक चक्कर
फिर उस चक्कर में इक चक्कर
और बनाते जाएं जब तक
ऊब न जाएं थक कर।
फिर सबसे छोटे चक्कर में
म्याऊं एक बिठाएं
और बाहरी एक चक्कर में
चूहों को दौड़ाएं।
दौड़-दौड़ कर सभी थकें
हम बैठे मारें मक्कर,
नींद लगे हम सो जाएं
वे देखें उझक-उझक कर।
आओ एक बनाएं चक्कर।
∼ सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
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