क्या राष्ट्रधर्म?
क्या संविधान?
तू नये नये हथकंडे ला!
वश में अपने कुछ गुंडे ला
फिर ऊँचे ऊँचे झंडे ला!
हर एक हाथ में डंडे ला!
फिर ले जनता की ओर तान!
क्या राष्ट्रधर्म?
क्या संविधान?
इस शहर में खिलते चेहरे क्यों?
आपस में रिश्ते गहरे क्यों?
घर घर खुशहाली चेहरे क्यों?
झूठों पर सच के पहरे क्यों?
आपस में लड़वा, तभी जान!
क्या राष्ट्रधर्म?
क्या संविधान?
तू अन्य दलों को गाली दे!
गंदी से गंदी वाली दे!
हर पल कोई घात निराली दे!
फिर दाँत दिखा कर ताली दे!
फिर गा “मेरा भारत महान”
क्या राष्ट्रधर्म?
क्या संविधान?
प्रतिपक्ष पे अनगिन खोट लगा!
ना सँभल सके यूँ चोट लगा!
कुछ भी कर काले नोट लगा!
हर तरफ़ वोट की गोट लगा!
कुरसी ही अपना लक्ष्य मान!
क्या राष्ट्रधर्म?
क्या संविधान?