चंपा और चमेली - प्रतिभा सक्सेना

चंपा और चमेली – प्रतिभा सक्सेना

Champa Aur Chameli

चंपा ने कहा, ‘चमेली, क्यों बैठी आज अकेली
क्यों सिसक-सिसक कर रोतीं, क्यों आँसू से मुँह धोतीं
क्या अम्माँ ने फटकारा, कुछ होगा कसूर तुम्हारा
या गुड़ियाँ हिरा गई हैं या सखियाँ बिरा गई हैं।

भइया ने तुम्हें खिजाया, क्यों इतना रोना आया?
अम्माँ को बतलाती हूँ, मैं अभी बुला लाती हूँ’
सिसकी भर कहे चमेली, ‘मैं तो रह गई अकेली
देखो वह पिंजरा सूना, उड़ गई हमारी मैना।

मैं उसे खिला कर खाती, बातें भी करती जाती
कितना भाती थी मन को, क्यों छोड़ गई वह हमको?’
‘इक बात मुझे बतलाओ तुम भी यों ही फँस जाओ
जब कोई तुम्हें पकड़ के, पिंजरे में रखे जकड़ के।

खाना-पानी मिल जाए फिर बंद कर दिया जाए
तो कैसा तुम्हें लगेगा किस तरह समय बीतेगा
तुम रह जाओगी रो कर, खुश रह पाओगी क्योंकर?
वह उड़ती थी मनमाना, सखियों सँग खेल रचाना।

ला उसे कैद में डाला, कितना बेबस कर डाला।
पिंजरे में थी बेचारी, पंखोंवाली नभ-चारी
अब उड़-उड़कर खेलेगी, वह डालों पर झूलेगी
छोटा सा नीड़ रचेगी, अपनों के साथ हँसेगी।

उसको सुख से रहने दो, अपने मन की कहने दो।
धर देना दाना-पानी, खुश होगी मैना रानी।’
तब हँसने लगी चमेली, ‘तूने सच कहा सहेली,
ये पंछी कितने प्यारे, आयेंगे साँझ-सकारे।’

∼ प्रतिभा सक्सेना

About Pratibha Saxena

जन्म: स्थान मध्य प्रदेश, भारत, शिक्षा: एम.ए, पी एच.डी., उत्तर कथा पुस्तकें: 1 सीमा के बंधन - कहानी संग्रह, 2. घर मेरा है - लघु-उपन्यास संग्रह .3. उत्तर कथा - खण्ड-काव्य. संपादन प्रारंभ से ही काव्यलेखन में रुचि, कवितायें, लघु-उपन्यास, लेख, वार्ता एवं रेडियो तथा रंगमंच के लिये नाटक रूपक, गीति-नाट्य आदि रचनाओं का साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन (विशाल भारत ,वीणा, ज्ञानोदय, कादंबिनी, धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, अमेरिका से प्रकाशित, विश्व विवेक, हिन्दी जगत्‌ आदि में।) सम्प्रति : आचार्य नरेन्द्रदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कानपुर में शिक्षण. सन्‌ 1998 में रिटायर होकर, अधिकतर यू.एस.ए. में निवास. pratibha_saksena@yahoo.com

Check Also

Blue Christmas Day: Date, History, Significance, Observance, Facts

Blue Christmas Day: Date, History, Significance, Observance, Facts

Blue Christmas: Blue Christmas in the Western Christian tradition, is a day in the Advent …