चाँद – गोविन्द भारद्वाज

Chand Poemलहर – लहर लहराया चाँद,
आसमान पर आया चाँद।

सजी सितारों की बारात,
मन ही मन मुस्काया चाँद।

नही धरती शबनम में ,
और देख इतराया चाँद।

सुनकर नगमा चांदनी का,
आज फिर गुनगुनाया चाँद।

इस जगमगाती दुनिया में,
परी लोक से आया चाँद।

∼ गोविन्द भारद्वाज

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