चंदा है तू, मेरा सूरज है तू: आराधना 1969 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है जिसके निर्माता एवं निर्देशक शक्ति सामंत थे। इस फ़िल्म को 1969 में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार के साथ दो अन्य फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से नवाज़ा गया था। फ़िल्म में संगीत दिया है ऍस. डी. बर्मन ने और गीतकार हैं आनन्द बख़्शी।
- DO YOU KNOW: शर्मिला टैगोर उस समय एक बंगला फ़िल्म कर रही थीं और उनके पास इस फ़िल्म को देने के लिए समय नहीं था। इस लिए ‘मेरे सपनों की रानी‘ गीत पहले राजेश खन्ना पर फ़िल्माया गया और जब शर्मिला टैगोर को फ़ुर्सत मिली तो गीत के वे दृश्य फ़िल्माये गये जो उन पर आधारित थे।
- फ़िल्म के दो गाने मोहम्मद रफ़ी से गवाकर सचिन दा बहुत बीमार पड़ गये। बाद के गाने उनके बेटे आर. डी. बर्मन ने रिकॉर्ड किये और किशोर दा से गवाये जिसके फलस्वरूप किशोर दा को गायक की हैसियत से अपना पहला फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ।
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू: आराधना फिल्म से
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू, ओ मेरी आँखों का तारा है तू
जीती हूँ मैं बस तुझे देख के इस टूटे दिल का सहारा है तू
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू…
तू खेले खेल कई, मेरा खिलौना है तू
जिससे बंधी हर आशा मेरी, मेरा वो सपना सलोना है तू
नन्हासा है कितना सुन्दर है तू, छोटासा है कितना प्यारा है तू
चंदा है तू, मेरा सूरज है तू…
पुरवाई बन में उड़े, पंछी चमन में उड़े
राम करे कभी हो के बड़ा, तू बनके बादल गगन में उड़े
जो भी तुझे देखे वो ये कहे, किस माँ का ऐसा दुलारा है तू
मेरा सूरज है तू…
~ Song by “आनंद बक्षी“
चित्रपट: आराधना (1969)
गीतकार: आनंद बक्षी
गायक: लता मंगेशकर
संगीतकार: सचिनदेव बर्मन
Movie Summary:
Arun meets Vandana during a vacation and very soon they secretly get married. Arun is a air force pilot an dies in a crash leaving pregnant Vandana heartbroken. As her marriage was never formalized she decides not to accept the kid her father to dies in between this. Vandana gives birth to her son who gets adopted by a childless couple and she decides to take care of him as her nanny. The child is name Suraj things are well until Shyam starts to eye her an done day while trying to molest her Suraj stabs him. But Vandana takes the blame on her spending rest of her life in jail. Years later she is to be freed from jail and the jailer takes her to his house to take care of her daughter Renu. Renu starts bonding well with Vandana and introduces her to her lover whose none other then Suraj. At the very firs moment Vandana realizes that he is her son whose exact replica of his father Arun. But decides no to break the truth as Suraj might be embarrassed.