चिट्ठी आई है: आप सभी को दिवाली की ढेर सारी बधाईयाँ। आज के दौर में दिवाली को लोग बम पटाखों से मनाते है, अपने रिश्तेदारों के यहां मिठाइयाँ पहुंचाते है। लेकिन पुराने जमाने में ऐसा नहीं होता था। लोग अपनी दिवाली मनाने के लिए बम पटाखों के इस्तेमाल की बजाय आपस के लोगों को दिवाली पर कविता भेजते थे। लोगों को दीपावली की कविताएँ भेजना बहुत ही अच्छा लगता है। आज के समय में भी जो घर के बड़े लोग हैं उन्हें दिवाली की कविता बोलना सुनना पसंद है।
दीपावली पर कविता सभी राज्य में बोली जाती है। छोटे बच्चों के स्कूल आदि में दिवाली के त्यौहार पर कविताएं बोली जाती है। दिवाली पर बच्चों के लिए कविताएं और बड़े भी चाहे तो बड़ो के लिए दिवाली पर कविता प्रस्तुत है। दिवाली पर कविताएं निम्नलिखित है।
चिट्ठी आई है: आनंद बक्षी का दिल को छु लेने वाला फ़िल्मी गीत
चिट्ठी आई है आयी है, चिट्ठी आयी है,
चिट्ठी आई है, वतन से चिट्ठी आयी है,
बड़े दिनों के बात, हम बे-वतनों को याद,
वतन की मिट्टी आयी है…
उपर मेरा नाम लिखा है, अंदर ये पैगाम लिखा है,
ओ परदेस को जानेवाले, लौट के फिर ना आने वाले,
सात समुंदर पार गया तू, हम को ज़िंदा मार गया तू,
खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू,
कम खाते है, कम सोते है, बहोत ज़्यादा हम रोते हैं,
चिट्ठी आयी है…
सुनी हो गयी शहर की गलियाँ, काँटे बन गयी बाग की कलियाँ,
कहते हैं सावन के झूले, भूल गया तू हम नहीं भूले,
तेरे बिन जब आयी दीवाली, दीप नहीं दिल जले है खाली,
तेरे बिन जब आयी होली, पिचकारी से छुटी गोली,
पीपल सुना, पनघट सुना, घर शमशान का बना नमूना,
फसल कटी, आयी बैसाखी, तेरा आना रह गया बाकी,
चिट्ठी आयी है…
पहले जब तू खत लिखता था, कागज में चेहरा दिखता था,
बंद हुआ ये मेल भी अब तो, ख़त्म हुआ ये खेल भी अब तो,
डोली में जब बैठी बहना, रास्ता देख रहे थे नैना,
मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँ का हाल बुरा है,
तेरी बीवी करती है सेवा, सूरत से लगती है बेवा,
तू ने पैसा बहोत कमाया, इस पैसे ने देस छुड़ाया,
देस पराया छोड़ के आजा, पंछी पिंजरा तोड़ के आजा,
आजा उम्र बहोत है छोटी, अपने घर में भी है रोटी,
चिट्ठी आयी है…
∼ चिट्ठी आई है filmi song by ‘आनंद बक्षी’
चित्रपट : नाम (1986)
गीतकार : आनंद बक्षी
संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गायक : पंकज उधास
सितारे : संजय दत्त, कुमार गौरव