राजेंद्र कृष्ण का पूरा नाम राजेंद्र कृष्ण दुग्गल था। कविता का कीड़ा बचपन से काट गया था, इसलिए मन बहुत कुछ कहना चाहता था। डायरियों के पन्नों पर मन का उलझाव दर्ज करते रहे और कविता, शायरी, ग़ज़ल जैसा कुछ रचने लगे। साहित्य ठीक से पढ़ा, जब 1942 में शिमला की म्युनिसिपल कार्पोरेशन में क्लर्क हो गए। थोड़ी झिझक मिटी, जो अख़बारों को कविताएं प्रकाशन के लिए भेजने लगे। धीरे-धीरे भीतर का कवि आकार लेने लगा था। पर अब भी वो विश्वास नहीं था कि छाती ठोंककर कह सकें, “हां ज़नाब, शायर हूं मैं”। मंचों पर भी कविता पढ़ने जाने लगे और वाहवाही वहां भी मिली, पर बात वैसी नहीं थी, जैसी राजेंद्र चाहते थे।
डैडी जी मेरी मम्मी को सताना नहीं अच्छा: राजेंद्र कृष्ण
डैडी जी हो डैडी जी
डैडी जी
मेरी मम्मी को सताना नहीं अच्छा -२
सताना रुलाना जलाना नहीं अच्छा
हो डैडी जी
मेरी मम्मी को सताना नहीं अच्छा -२
दिन भर में तुम पी जाते हो सिगरेट के दो तीन
कभी रसोई में भी देखो बरतन हैं कुल तीन
देखो जी
घर को आग लगाना नहीं अच्छा -२
सताना रुलाना…
सुबह सवेरे आठ बजे तुम घर से दफ़तर जाते
श्याम को छुट्टी होती है घर आधी रात को आते
देखो जी
इतनी देर से आना नहीं अच्छा -२
सताना रुलाना…
बीवी घर में चुल्हा फूंके नन्हा शोर मचाये
बाप हमारा बाप रे बाप क्लब में नाचे गाये
देखो जी
बीवी बच्चों को भुलाना नहीं अच्छा – 2
सताना रुलाना…
∼ राजेंद्र कृष्ण
चित्रपट : सगाई (1951)
गीतकार : राजेंद्र कृष्ण
संगीतकार : सी. रामचन्द्र
गायक : लता मंगेशकर
सितारे : रेहाना, प्रेमनाथ, याकूब, गोपी, विजयलक्ष्मी, हीरालाल, इफ़्तेख़ार
https://www.youtube.com/watch?v=wI4iyN5hSGY