भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। विश्व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
भारत का इतिहास और संस्कृति गतिशील है और यह मानव सभ्यता की शुरूआत तक जाती है। यह सिंधु घाटी की रहस्यमयी संस्कृति से शुरू होती है और भारत के दक्षिणी इलाकों में किसान समुदाय तक जाती है। भारत के इतिहास में भारत के आस पास स्थित अनेक संस्कृतियों से लोगों का निरंतर समेकन होता रहा है। उपलब्ध साक्ष्य सुझाते हैं कि लोहे, तांबे और अन्य धातुओं के उपयोग काफी शुरूआती समय में भी भारतीय उप महाद्वीप में प्रचलित थे, जो दुनिया के इस हिस्से द्वारा की गई प्रगति का संकेत है। चौंथी सहस्राब्दि बी. सी. के अंत तक भारत एक अत्यंत विकसित सभ्यता के क्षेत्र के रूप में उभर चुका था।
आजादी की सालगिरह देशभर में मनाई गई। स्कूल के छोटे बच्चों से लेकर राजनीति के गलियारों में भी आजादी का जश्न मनाया गया। आजादी के इस सुखद एहसास के बीच हम लाए हैं आपके लिए एक ऐसी कविताएं, जिसमें मिलती है अपने वतन की खुशबू…
देश हमारा आँख का तारा: पूर्णिमा वर्मन
हम सब इस पर हों कुर्बान।
जय जय भारत देश महान।
इसी देश पर अमर-तिरंगा
लहर लहर लहरा कर के
इसी देश में गंगाजमुना
कल कल नीर बहा कर के
हमें ज्योतिमय राह दिखाएं
करें हमारा ही कल्यान।
जय जय भारत देश महान।
जिसको सबने सदा दुलारा
इसी देश पर ताज है प्यारा
सारे जग का एक सितारा
कश्मीर है सदा हमारा
सदा बढाएंगे हम भारत
तेरे यश का गौरवगान।
जय जय भारत देश महान।