देश की मिट्टी – शम्भू नाथ

इस मिट्टी से बैर करो मत, ये मिट्टी ही सोना है।
इसी में हंसना इसी में गाना, इसी में यारों रोना है।
इस मिट्टी में जन्म लिये हो, इसी मिट्टी में रहना है।
इसी में खा के इसी में जा के, इसी में वापस आना है।
इससे प्रेम करोगे प्यारे, नाम अमर हो जाना है।
इसी में सपना इसी में अपना, इसी में ये जग सारा है।
इसी में कंकर इसी में पत्थर, इसी में अन्न भी होना है।
इस मिट्टी से बैर करो मत, ये मिट्टी ही सोना है॥

इसी मे आना जाना इसी मे जाना, इसी मे खोना पाना है।
इसी मे राम जी इसी मे किशन जी, इसी मे प्रभु को आना है।
जीतने पापी हैं दुनिया में, उनको के जाना है।
इसी में पाप इसी में पुण्य, यहीं से दोनों को जाना है।
अच्छे कर्मो का फल अच्छा, बुरा करके पछताना है।
इस मिट्टी से प्यार करोगे, हँसते-हँसते जाना है।
इस मिट्टी से बैर करो मत, ये मिट्टी ही सोना है॥

∼ शम्भू नाथ

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