दूर का सितारा: निदा फ़ाज़ली

दूर का सितारा: निदा फ़ाज़ली

मैं बरसों बाद
अपने घर को तलाश करता हुआ
अपने घर पहुंचा
लेकिन मेरे घर में
अब मेरा घर कहीं नहीं था
अब मेरे भाई
अजनबी औरतों के शौहर बन चुके थे
मेरे घर में
अब मेरी बहनें
अनजान मर्दों के साथ मुझसे मिलने आती थीं
अपने­अपने दायरों में तक्.सीम
मेरे भाई­ बहन का प्यार
अब सिर्फ तोहफों का लेन­देन बन चुका था

मैं जब तक वहां रहा
शेव करने के बाद
ब्रश, क्रीम, सेफ़्टी­रेज़र
खुद धोकर अटैची में रखता रहा
मैले कपड़े
खुद गिन कर लौंड्री में देता रहा

अब मेरे घर में
वो नहीं थे
जो बहुत सों में बंट कर भी
पूरे के पूरे मेरे थे
जिन्हें मेरी हर खोई चीज़ का पता याद था

मुझे काफी देर हो गई थी
देर हो जाने पर हर खोया हुआ घर
आस्मां का सितारा बन जाता है
जो दूर से बुलाता है
लेकिन पास नहीं आता है

निदा फ़ाज़ली

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