पिता दिवस पर हिंदी कविता: फादर्स डे एक अवसर है जब हम अपने पिताजी के प्रति अपनी गहरी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं और उनके साथ हमारी समर्थना और प्यार का अभिव्यक्ति करते हैं। यह एक समय होता है जब हम उनकी अनमोल मेहनत और समर्पण को स्वीकार करते हैं, जो हमें हमेशा प्रेरित और सहायक बनाते हैं। इस दिन का महत्व है क्योंकि यह हमें याद दिलाता है कि पिता न हमें सिर्फ एक संसारी उपेक्षणीय अस्तित्व में लाते हैं, बल्कि वे हमारी जिंदगी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस अवसर पर, हम उन्हें अपनी आभारी भावना द्वारा अर्पित करते हैं और उनके प्रति अपनी गहरी आदर-स्नेह की अभिव्यक्ति करते हैं।
पिता: पिता दिवस पर हिंदी कविता [1]
पिता जीवन है, संबल है, शक्ति है
पिता सृष्टि के निर्माण की अभिव्यक्ति है
पिता उंगली पकड़े बच्चे का सहारा है
पिता कभी कुछ खट्टा, कभी खारा है
पिता पालन है, पोषण है, पारिवार का अनुशासन है
पिता धौंस से चलने वाला प्रेम का प्रशासन है
पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है
पिता छोटे से परिंदे का बड़ा आसमान है
पिता अपदर्शित अनन्त प्यार है
पिता है तो बच्चों को इंतजार है
पिता से ही बच्चों के ढेर सारे सपने हैं
पिता है तो बाज़ार के सब खिलौने अपने हैं
पिता परमात्मा की जगत के प्रति आसक्ति है
पिता गृहस्थ आश्रम में उच्च स्थिति की भक्ति है
पिता अपनी इच्छाओं का हनन और परिवार की पूर्ति है
पिता रक्त में दिये हुए संस्कारों की मूर्ति है
पिता एक जीवन को जीवन का दान है
पिता दुनिया दिखाने का अहसान है
पिता सुरक्षा है, सिर पर हाथ है
पिता नहीं तो बचपन अनाथ है
तो पिता से बड़ा तुम अपना नाम करो
पिता का अपमान नहीं, उन पर अभिमान करो
~ पिता दिवस की शुभकामना
सारे घर की शान है पिता: पिता दिवस पर हिंदी कविता [2]
मेरा साहस मेरी इज्जत, मेरा सम्मान है पिता,
मेरी ताकत मेरी पूंजी, मेरी पहचान है पिता,
घर की एक एक ईंट में, शामिल उनका खून पसीना,
सारे घर की रौनक उनसे, सारे घर की शान है पिता,
मेरी इज्ज़त मेरी शौहरत, मेरा रुतबा मेरा मान है पिता,
मुझे हिम्मत देने वाला मेरा अभिमान है पिता,
सारे रिश्ते उनके दम से, सारी बातें उनसे हैं,
सारे घर के दिल की धड़कन, सारे घर की जान है पिता,
शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मों का,
उसकी रहमत उसकी नियामत उसका है वरदान पिता।
मेरे सबसे अच्छे पापा: पिता पर हिंदी कविता [3]
प्यारे पापा सच्चे पापा, बच्चों के संग बच्चे पापा,
करते हैं पूरी हर इच्छा, मेरे सबसे अच्छे पापा,
पापा हर फ़र्ज़ निभाते हैं, जीवन भर कर्ज चुकाते हैं,
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए, अपने सुख भूल ही जाते हैं,
जिससे सब कुछ पाया है, जिसने सब कुछ सिखलाया है,
कोटि नम्न ऐसे पापा को, जिसने हर पल साथ निभाया है।
मैं अपने ‘पापा’ का दीवाना था: कविता [4]
एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था,
चाहत चांद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दीवाना था,
खबर ना थी कुछ सुबह की,
ना शाम का कोई ठिकाना था,
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था,
मां की कहानी थी,
परियों का फसाना था,
बारिश में कागज की नाव थी,
हर मौसम सुहाना था,
रोने की कोई वजह ना थी,
और मैं अपने ‘पापा’ का दीवाना था।
हर पल का साथ, खुशनुमा एहसास: पिता दिवस पर कविता [5]
आपकी आवाज मेरा सुकून है,
आपकी खामोशी, एक अनकहा संबल।
आपके प्यार की खुशबू जैसे,
महके सुगंधित चंदन।
आपका विश्वास, मेरा खुद पर गर्व।
दुनिया को जीत लूं, फिर नहीं कोई हर्ज।
आपकी मुस्कान, मेरी ताकत,
हर पल का साथ, खुशनुमा एहसास
दुनिया में सबसे ज्यादा,
आप ही मेरे लिए खास
पापा,आपकी शुक्रगुजार है,
मेरी हर एक सांस।
अब जुदा तो मत करो ना पापा: पिता पर हिंदी कविता [6]
शाम हो गई अब तो घूमने चलो ना पापा,
चलते-चलते थक गई अब तो कन्धों पर बिठा लो ना पापा,
अंधेरे से डर लगता है सीने से लगा लो ना पापा,
मम्मी तो सो गई आप ही थपकी देकर सुलाओ ना पापा,
स्कूल तो पूरा हो गया,
अब कॉलेज जाने दो ना पापा,
पाल पोस कर बड़ा किया,
अब जुदा तो मत करो ना पापा,
अब डोली में बिठा ही दिया तो,
आंसू तो मत बहाओ ना पापा,
आप की मुस्कुराहट अच्छी है,
एक बार मुस्कुराओ ना पापा,
आप ने मेरी हर एक बात मानी,
एक बात और मान जाओ ना पापा,
इस धरती पर बोझ नहीं मैं,
दुनिया को समझाओ ना पापा।
पिता एक उम्मीद है एक आस है: पिता पर कविता [7]
पिता एक उम्मीद है एक आस है,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त और अंदर से नरम है,
उसके दिल में दफन कई मरम है,
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला बिछौना है,
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है,
सबको बराबर का हक दिलाता एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है,
इसी में तो मां और बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर है, पिता जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर हैं।
दूर रहकर भी हमेशा, उन्होंने प्यार बरसाया: कविता [8]
प्यार का सागर ले आते, फिर चाहे कुछ न कह पाते,
छोटी सी उंगली पकड़कर, चलना उन्होंने सीखाया,
जीवन के हर पहलु को, अपने अनुभव से बताया,
हर उलझन को उन्होंने, अपना दुःख समझ सुलझाया,
दूर रहकर भी हमेशा, प्यार उन्होंने हम पर बरसाया,
मेरी हर सिसकियों में, अपनी आंखों को भिगोया,
आशिर्वाद उनका हमेशा हमने पाया,
हर ख़ुशी को मेरी पहले उन्होंने जाना,
असमंजस के पलों में अपना विश्वाश दिलाया,
ऐसे पिता के प्यार से बड़ा कोई प्यार न पाया।