अबकी कुछ बात ही निराली है
कुछ गए दिन बहुत कठिन गुजरे
मन मुरादों की जेब खाली है।
कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था
उसकी पहली कली है डाली पर
दिल में कुछ अजब सी उमंगें हैं
और नजरें सभी की माली पर
कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था
उसकी खुशबू वतन को चूमेगी
दिल में विश्वास की किरण होगी
आँख कुछ स्वप्न देख झूमेगी
कि एक फूल जिसका इंतजार सबको था
उसकी खुशबू हमें जगाएगी
और अहसास यह भी होता है
अब तो यह मुल्क उठ खड़ा होगा
सबके मन की दुआ कुबूलेगा
सबकी उम्मीद पर खरा होगा।
~ राजीव कृष्ण सक्सेना
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