गिरिधर की कुंडलियाँ – गिरिधर कविराय

लाठी में गुण बहुत हैं, सदा राखिये संग
गहरी नदी, नारा जहाँ, तहाँ बचावै अंग
तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता को मारै
दुशमन दावागीर, होय तिनहूँ को झारै
कह गिरिधर कविराय, सुनो हो धूर के बाठी
सब हथियारन छाँड़ि, हाथ में लीजै लाठी

दौलत पाय न कीजिये, सपने में अभिमान
चंचल जल दिन चारि को, ठाँउ न रहत निदान
ठाँउ न रहत निदान, जीत जग में यश लीजै
मीठे वचन सुनाय, विनय सब की ही कीजै
कह गिरिधर कविराय, अरे यह सब घट तौलत
पाहुन निशदिन चारि, रहत सबही के दौलत

साँईं अवसर के पड़े, को न सहत दुख द्वंद
जाय बिकाने डोम घर, वै राज हरिचंद
वै राज हरिचंद, करैं मरघट रखवारी
धरे तपस्वी वेष, फिरे अर्जुन बलधारी
कह गिरिधर कविराय, तपै वह भीम रसोई
को न करै घटि काम, परे अवसर के साँईं

गुन के गाहक सहस नर, बिनु गुन लहै न कोय
जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय
शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन
दोऊ को इक रंग, काग सब भये अपावन
कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के
बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहका गुन के

पानी बाढ़ो नाव में, घर में बाढ़ो दाम
दोऊ हाथ उलीचिये, यही सयानो काम
यही सयानो काम, राम को सुमिरन कीजै
परस्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै
कह गिरिधर कविराय, बड़ेन की याही बानी
चलिये चाल सुचाल, राखिये अपनो पानी

बीती ताहि बिसारि दे, आगे की सुधि लेय
जो बनि आवै सहज में, ताही में चित देय
ताही में चित देय, बात जोई बनि आवै
दुर्जन हँसे न कोइ, चित में खता न पावै
कह गिरिधर कविराय, यहै करु मन परतीती
आगे को सुख समुझि, होई बीती सो बीती

साँईं अपने भ्रात को, कबहु न दीजै त्रास
पलक दूर नहिं कीजिये, सदा राखिये पास
सदा राखिये पास, त्रास कबहूँ नहिं दीजै
त्रास दियो लंकेश, ताहि की गति सुन लीजै
कह गिरिधर कविराय, राम सों मिलयो जाईं
पाय विभीषण राज, लंकपति बाज्यो साईं

∼ गिरिधर कविराय

About 4to40.com

Check Also

National Cancer Awareness Day: Theme, Quotes & Slogans

National Cancer Awareness Day: Theme, Quotes & Slogans

National Cancer Awareness Day: November 7 is annually observed as National Cancer Awareness Day. The …