गोरी बैठी छत पर: ओम प्रकाश आदित्य

गोरी बैठी छत पर: ओम प्रकाश आदित्य

गोरी बैठी छत पर: एक जवान औरत घर की छत से कूदकर खुद को मारने की कोशिश कर रही है। ओम प्रकाश आदित्य जी ने कई प्रसिद्ध कवियों की शैली में इस दृश्य का वर्णन किया है।

मैथिली शरण गुप्त

अट्टालिका पर एक रमणी अनमनी सी है अहो।
किस वेदना के भार से संतप्त हो देवी कहो?
धीरज धरो संसार में किसके नहीं दुर्दिन फिरे‚
हे राम रक्षा कीजिये अबला न भूतल पर गिरे।

सुमित्रानंदन पंत

स्वर्ण–सौध के रजत शिखर पर
चिर नूतन चिर सुंदर प्रतिपल
उन्मन–उन्मन‚ अपलक–नीरव
शशि–मुख पर कोमल कुंतल–पट
कसमस–कसमस चिर यौवन–घट

पल–पल प्रतिपल
छल–छल करती निर्मल दृग–जल
ज्यों निर्झर के दो नीलकमल
यह रूप चपल ज्यों धूप धवल
अतिमौन‚ कौन?
रूपसि‚ बोलो‚
प्रिय‚ बोलो न?

रामधारी सिंह दिनकर

दग्ध हृदय में धधक रही
उत्तप्त प्रेम की ज्वाला।
हिमगिरि के उत्स निचोड़‚ फोड़
पाताल बनो विकराला।
ले ध्वंसों के निर्माण त्राण से
गोद भरो पृथ्वी की।
छत पर से मत गिरो
गिरो अंबर से वज्र–सरीखी।

काका हाथरसी

गोरी बैठी छत्त पर‚ कूदन को तैयार
नीचे पक्का फर्श है‚ भली करे करतार
भली करे करतार‚ न दे दे कोई धक्का
ऊपर मोटी नार कि नीचे पतरे कक्का
कह काका कविराय‚ अरी! मत आगे बढ़ना
उधर कूदना‚ मेरे ऊपर मत गिर पड़ना

गोपाल प्रसाद व्यास

छत पर उदास क्यों बैठी है‚
तू मेरे पास चली आ री।
जीवन का सुख–दुख कट जाए‚
कुछ मैं गाऊं‚ कुछ तू गा री।

तू जहां कहीं भी जाएगी‚
जीवन–भर कष्ट उठाएगी।
यारों के साथ रहेगी तो‚
मथुरा के पेड़े खाएगी।

श्यामनारायण पांडेय

ओ घमंड मंडिनी‚
अखंड खंड–खंडिनी।
वीरता विमंडिनी‚
प्रचंड चंड चंडिनी।

सिंहनी की वान से‚
आन–बान–शान से।
मान से‚ गुमान से‚
तुम गिरो मकान से।

तुम डगर–डगर गिरो
तुम नगर–नगर गिरो।
तुम गिरो‚ अगर गिरो‚
शत्रु पर मगर गिरो।

गोपाल प्रसाद नीरज

हो न उदास रूपसी‚ तू मुस्कुराती जा‚
मौत में भी जिंदगी के फूल खिलाती जा।
जाना तो हर एक को एक दिन जहान से‚
जाते–जाते मेरा एक गीत गुनगुनाती जा।

∼ ‘गोरी बैठी छत पर’ by ओम प्रकाश आदित्य

Check Also

Vanvaas: 2024 Nana Patekar Hindi Drama Film, Trailer, Review

Vanvaas: 2024 Nana Patekar Hindi Drama Film, Trailer, Review

Movie Name: Vanvaas Directed by: Anil Sharma Starring: Nana Patekar, Utkarsh Sharma, Simrat Kaur, Rajpal Yadav, Khushbu Sundar, Ashwini Kalsekar …