गोविंदा आला रे आला: दही-हांडी एक भारतीय त्यौहार है। यह साल के अगस्त महीने में मनाया जाता है। कुछ लोग, ज्यादातर युवक इकट्ठे होकर एक मानव पिरामिड बनाते हैं। इसके पश्चात् ऊपर एक दही से भरी हांडी लटकी होती है, उसे फोड़ते हैं। इस त्यौहार के भागीदारों को गोविन्दा कहा जाता है। दही-हांडी भारत के महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यह कृष्ण जन्माष्टमी का एक हिस्सा है। प्रतिभागियों को 9 स्तरों से नीचे आमतौर पर मिलकर एक पिरामिड बनाते हैं और हांड़ी को तोड़ने के लिए 3 मौके दिये जाते हैं। पुरस्कार के रूप में प्रतिभागियों को रुपये दिये जाते हैं।
दही-हांडी से करते हैं कृष्ण को याद
हम सभी ने पौराणिक कथाओं में सुना है कि बाल कृष्ण दही की हांडी से दही और मक्खन चुराकर खाते थे। इसी वजह से उनके जन्मदिन पर ये परंपरा चल पड़ी कि दही-हांडी का खेल खेला जाने लगा। ऐसा करके लोग भगवान कृष्ण को याद करते हैं। ये खेल उनके जन्मदिन का उत्सव मनाने का एक तरीका है।
गोविंदा आला रे आला: राजिंदर कृष्ण
गोविंदा आला रे आला
ज़रा मटकी सम्भाल बृजबाला
अरे एक दो तीन चार संग पाँच छः सात हैं ग्वाला
गोविंदा आला रे आला
आई माखन के चोरों की सेना
ज़रा बच के सम्भल के जी रहना
बड़ी नटखट है फ़ौज
कहीं आई जो मौज
नहीं बचने का कोई भी ताला ताला
गोविंदा आला रे…
हो कैसी निकली है झूम के ये टोली
आज खेलेगी दूध से ये होली
भीगे कितना भी अंग
ठंडी हो ना उमंग
पड़े इनसे किसी का न पाला पाला…
~ राजिंदर कृष्ण
Movie: ब्लफ़ मास्टर (1963)
Director: मनमोहन देसाई
Music By: कल्याणजी-आनंदजी
Lyrics By: राजिंदर कृष्ण
Singer: मो. रफ़ी
Actor: Shammi Kapoor
Synopsis: Ashok lives in a chawl in Bombay and is a smooth-talking con willing to cheat anyone. He dreams big, pretends to be rich and even lies to his mother, but everything changes when he falls in love.